बिलौआ से इटावा तक की दूरी 130 किमी, गिट्टी की ITP में दिखा रहे 1450 किमी
यह कवायद इसलिए की जा रही है ताकि छात्रों के पैसे का दुरुपयोग न हो। सूत्रों के अनुसार १० साल में पूरे प्रदेश से सैकड़ों की संख्या में प्रोफेसर्स किसी न किसी बहाने से विदेशों में होने वाले अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने के लिए गए। जिसमें करीब ४० करोड़ रुपए का खर्च आया है। इसमें एक करोड़ २२ लाख का खर्च केवल ग्वालियर अंचल के प्रोफेसर्स है। इतने बड़े स्तर पर रुपयों की बर्बादी का पता चलने पर अधिकारियों के पैरों तले जमीन खिसक गई। उच्च शिक्षा मंत्रालय के आदेश के बाद विभाग ने आनन-फानन में गाइड लाइन जारी की है। जिसके अनुसार अब विदेश यात्रा से पहले आयुक्त से अनुमति लेना अनिवार्य है।
“अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का पूरा खर्च संबंधित संस्था उठाएगी। उच्च शिक्षा मंत्रालय किसी प्रकार का फंड जारी नहीं करेगा।”
पानी कर रहे बर्बाद: अधिकारी बोला मैं निगम का काम करता हूं, मुझसे जुर्माना वसूला तो अच्छा नहीं होगासेमिनार की आड़ में शिक्षक घूमने का करते रहे काम
विदेशों में होने वाले अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में भाग लेने के लिए अंचल से भी सैकड़ों प्रोफेसर्स गए, लेकिन उसका लाभ छात्रों को नहीं मिला। ये यात्राएं सिर्फ दिखावे के लिए की जाती रहीं। असल में अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों की आड़ में शिक्षक अपने निजी काम के लिए विदेश जाया करते थे। जिसकी कई बार शिकायत भी की गई। लेकिन, कार्रवाई के नाम पर आज तक किसी के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया गया।
विदेशों में होने वाले अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों का लाभ छात्रों को मिले, इसलिए प्रोफसरों को वहां भेजा जाता है। अब छात्रों के लिए उपयोगी सेमिनारों में ही शिक्षक को पूरी जांच के बाद भेजा जाएगा।
नीरज मंडलोई, आयुक्त, उच्च शिक्षा विभाग