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ग्वालियर

MP Election 2023: पिछले चुनाव में वोट बिखरने से बिगड़े थे समीकरण, इस बार दोनों दल अपने पाले में समेटने का कर रहे दावा

2018 में त्रिकोणीय मुकाबले में तीसरे उम्मीदवार को मिले थे बड़ी संख्या में वोट

ग्वालियरNov 27, 2023 / 08:24 am

Sanjana Kumar

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विधानसभा चुनाव-2023 के लिए मतदान हो चुका है। अब शहर में प्रत्याशियों की हार-जीत के समीकरण पर चर्चाएं चल रही हैं। 2018 के चुनाव के आधार पर लोग प्रत्याशियों को जीत दिला रहे हैं। क्योंकि तीन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला था। इस त्रिकोणीय मुकाबले में तीसरे उम्मीदवार ने बड़ी संख्या में वोट लिए थे, लेकिन 2023 में एक भी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला नहीं है।

2018 में जो वोट बिखर गए थे, उन वोटों को भाजपा व कांग्रेस अपने पाले में समेटने का दावा कर रहे हैं। तीसरे उम्मीदवार के वोट जिसकी ओर गए, उसको जीत हासिल हो सकती है। 17 नवंबर को विधान चुनाव के लिए वोङ्क्षटग हो गई थी। जिले के 90 उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में बंद है। लेकिन रिजल्ट से पहले दोनों ही पार्टी के उम्मीदवार, कार्यकर्ता एवं आम लोग हार जीत पर चर्चाएं कर रहे हैं। ऑफिस, सार्वजनिक स्थानों पर चुनाव के परिणाम पर बहस कर रहे हैं। इस बहस से पत्रिका ने हार-जीत के समीकरण पता किए हैं। दोनों पार्टी अपने बिखरे हुए वोट अपने पास वापस लाने में कामयाब बता रही हैं। उन्हीं बिखरे वोटों के आधार पर हार-जीत बता रहे हैं।

 

तीन विधानसभा में यह रही वोटों की स्थिति

विधानसभा 2018 2023 बढ़ोतरी
– ग्वालियर ग्रामीण 154055 187687 33632
– ग्वालियर दक्षिण 150880 164870 13990
– भितरवार 154762 181980 27218
(तीनों में 2018 की तुलना में 74 हजार 840 अधिक पड़ा है।)

 

इस आधार पर जीत का दावा कर रहे रहे हैं भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी

ग्वालियर दक्षिण

पिछले चुनाव में समीक्षा थीं निर्दलीय, अब हैं भाजपा में
2018 में ग्वालियर दक्षिण में भाजपा उम्मीदवार नारायण सिंह कुशवाह व कांग्रेस के प्रवीण पाठक के बीच सीधा मुकाबला था, लेकिन पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। समीक्षा गुप्ता ने 30 हजार 747 वोट हासिल किए थे। समीक्षा के वोटों को लेकर भाजपा का दवा था कि ये उनके वोट थे, जो समीक्षा को चले गए थे। इस बार ये नारायण ङ्क्षसह को मिले थे। समीक्षा गुप्ता भाजपा में वापस आ गई हैं। कांग्रेस का दावा है कि समीक्षा को उनके वोट गए थे, इसलिए जीत का अंतर कम था, इस बार बढ़ेगा।

ग्वालियर पूर्व
पहले बीएसपी का वोट कांग्रेस में हो गया था शिफ्ट
बीएसपी उम्मीदवार को 2008 और 2013 के चुनाव में अच्छा वोट मिला है। बीएसपी के उम्मीदवार को 20 हजार के करीब वोट मिलते थे। लेकिन 2018 में बीएसपी दो हजार का आंकड़ा ही पार कर पाई थी। बीएसपी का वोट कांग्रेस में शिफ्ट होने पर मुन्नालाल गोयल बड़े अंतर से जीते थे। 2023 में भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर रही है। बीएसपी का उम्मीदवार भी मैदान में है। कांग्रेस 2018 के परिणाम को देखते हुए जीत का दावा कर रही है।

 

ग्वालियर विधानसभा

कभी एकसाथ रहे, अब विरोध में चुनाव लड़े
भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवार एक ही नाव के सवार थे, लेकिन इस बार एक दूसरे के विरोध में चुनाव लड़े। उप चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट को गवां दिया था। भाजपा के प्रद्युम्न सिंह तोमर व कांग्रेस के सुनील शर्मा दोनों ही जीत का दावा कर रहे हैं। 2018 में कांग्रेस को बड़ी संख्या में वोट मिले थे।

 

ग्वालियर ग्रामीण
बीएसपी से लड़े थे साहब सिंह, इस बार कांग्रेस से लड़े
2018 में चार उम्मीदवारों को बड़ी संख्या में वोट मिले थे। भाजपा से भारत सिंह व बीएसपी से साहब सिंह के बीच टक्कर रही थी। कांग्रेस के मदन कुशवाह 38199 वोट लेकर तीसरे नंबर थे। फूलङ्क्षसह बरैया भी चुनाव लड़े थे। उन्होंने 7 हजार 698 वोट लिए। कांग्रेस का मानना है मदन कुशवाह व फूलङ्क्षसह बरैया को मिले वोट उन्हें मिले हैं। क्योंकि दोनों ही कांग्रेस में हैं।

 

भितरवार

2018 में बीएसपी से लड़े बीनू पटेल अब हैं भाजपा में
भितरवार विधानसभा में 2018 में तीन उम्मीदवारों ने बड़ी संख्या में वोट लिए थे। भाजपा से अनूप मिश्रा व कांग्रेस से लाखन सिंह के बीच मुकाबला था। लाखन सिंह चुनाव जीते थे। बीएसपी से चुनाव लड़े बीनू पटेल ने 18 हजार 728 वोट लिए थे। 2023 में भाजपा से मोहन सिंह राठौर चुनाव लड़े हैं। बीनू पटेल भाजपा में शामिल हो गए हैं। बीनू पटेल के वोटों पर भाजपा दावा कर रही है। जबकि कांग्रेस मानकर चल रही है कि बीनू पटेल ने उनके जातीय समीकरण में सेंध लगाई थी। यह वोट उनके पास वापस लौटा है।

डबरा
अब बदल गई है कांग्रेस-भाजपा के प्रत्याशियों की पार्टी
2018 में भाजपा व कांग्रेस में जो उम्मीदवार थे, 2023 दोनों की पार्टी बदल गई हैं। कांग्रेस से सुरेश राजे व भाजपा से इमरती देवी चुनाव लड़ी हैं। 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं इमरती देवी बड़े अंतर चुनाव जीती थीं। 2020 में उप चुनाव हार गईं। कांग्रेस इस सीट को अपनी सुरक्षित सीट मानकर चल रही है।

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