31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कब्ज की परेशानी से मुक्ति दिलाएंगे ये 3 योगासन

जीवनशैली में बदलाव के कारण हमारे शरीर की पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है। इसी के चलते लोगों में कब्ज़ की शिकायत बढ़ती जा रही है। यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे आसन जो आपकी कब्ज की परेशानी को दूर करेंगे...

3 min read
Google source verification

image

rishi jaiswal

Oct 03, 2016

yoga

yogasan


ग्वालियर। गलत खान-पान और जीवनशैली में बदलाव के कारण हमारे शरीर की पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है। इसी के चलते लोगों में कब्ज़ की शिकायत बढ़ती जा रही है, लेकिन जानकारों के मुताबिक इस समस्या को हल करने का सबसे आसान उपाय है योग।

योग प्रशिक्षकों के अनुसार योग के ऐसे 3 आसन हैं, जिन्हें हर रोज़ करने से कब्ज की शिकायत दूर की जा सकती है। सबसे खास बात यह, कि इनके लिए न तो किसी खास प्रशिक्षण की ज़रूरत होती है, न ही इन्हें करना ज्यादा मुश्किल होता है। ये हैं वे आसन जो आपको कब्ज से दिलाएंगे मुक्ति...



1. भुजंगासन: इस आसन को करते हुए शरीर फन उठाए हुए सांप की तरह दिखता है। इसलिए इसे भुजंगासन कहते हैं। पीठ दर्द दूर करने, रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने के अलावा यह शरीर की पाचन शक्ति भी दुरुस्त करता है, इस आसन से पेट की चर्बी भी कम होती है।


भुजंगासन करने का तरीका
पेट के बल लेटकर पैरों को सीथा और लंबा फैलाएं। हथेलियों को कंधों के नीचे ज़मीन पर रखें और माथा को जमीन से सटाएं। अब सांस अंदर लें और धीरे-धीरे सिर और कंधे को ज़मीन से ऊपर उठाइए और पीठ को पीछे की ओर झुकाएं। इस स्थिति में 20-30 सेकेंड रुकें, फिर धीरे धीरे सामान्य स्थिति में सांस छोड़ते हुए वापस आ जाएं।



नोट: सिर और पीठ को तेज़ी से नहीं, बल्कि धीरे धीरे मोड़ें। हर्निया, हाइपर थायरॉयड और पेट दर्द की शिकायत हो, तो यह आसन न करें।

2. वक्रासन (अर्ध मत्स्येंद्र आसन) :वक्र का अर्थ होता है टेढ़ा। इस आसन में शरीर सीधी और गर्दन टेढ़ी रहती है। इसलिए इसे वक्रासन भी कहते हैं। इस आसन से लीवर, किडनी, पैनक्रियाज प्रभावित होते हैं जिससे शरीर का मेटाबॉलिजम दुरुस्त होता है


वक्रासन करने का तरीका
दोनों पैरों को सामने फैलाकर बैठें और दोनों हाथ बगल में रखें, कमर सीधी रखें। अब दाएं पैर को घुटने से मोड़कर लाएं और बाएं पैर के घुटने की सीध में रखें। इसके बाद दाएं हाथ को पीछे ले जाएं और रीढ़ की हड्डी के बराबर रखें। कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद अब बाएं पैर को घुटने से मोड़कर यह आसन करें। इसके बाद बाएं हाथ को दाहिने पैर के घुटने के ऊपर से क्रॉस करके जमीन के ऊपर रखें। गर्दन को धीरे-धीरे पीछे की ओर ले जाते हुए ज्यादा से ज्यादा पीछे की ओर देखने की कोशिश करें। इसी तरह यह योगासन दूसरी तरफ से दोहराएं।



नोट: पीछे रखा गया हाथ कोहनी से सीधा रखते हुए मेरुदंड से 6 से 9 इंच के बीच में ही रखें और जब एक पैर को घुटने से मोड़कर लाये, तब दूसरे पैर का घुटने की सीध में होना जरुरी है।




3. पश्चिमोत्तासन : इस योगासन में शरीर के पश्चिम भाग यानी पीछे के भाग (पीठ) में खिंचाव होता है, इसलिए इसे पश्चिमोत्तासन कहते हैं। रीड की हड्डी या मेरूदंड के सभी विकार जैसे- पीठदर्द, पेट के रोग, लीवररोग, और गुर्दे के रोगों को दूर करता है. इसके अभ्यास से शरीर की चर्बी कम होती है और मधुमेह का रोग भी ठीक होता है. इस आसन से गर्भाशय संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं।


पश्चिमोत्तासन करने का तरीका
चौकड़ी लगाकर बैठें और सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर ले जाएं. अब सांस छोड़ते हुए कमर से पैरों की ओर झुकें, हाथों से तलवों को पकडें। एडिय़ों को आगे बढ़ाएं और शरीर के ऊपरी भाग को पीछे की ओर ले जाने की कोशिश करते हुए आगे की ओर झुकें। इस मुद्रा में 15 सेकेंड से 30 सेकेंड तक बने रहें।



नोट: शुरुआत में इस योगासन को करते वक्त घुटनों की नसों में तनाव के कारण पैरों को सीधा ज़मीन पर टिकाना मुश्किल हो सकता है, इसलिए आप कंबल को मोड़कर उसपर बैठें. मेरूदंड (रीढ़) की हड्डियों में खिंचाव हो इस बात का ख्याल रखते हुए जितना संभव हो आगे की ओर झुकने की कोशिश करनी चाहिए।



(यह ध्यान रखें: अगर मुमकिन हो, तो इन तीनों योगासनों को सुबह के वक्त साफ चटाई और खुले वातावरण में करें।)