ग्वालियर

146 साल पुराना होने के बाद भी सोने-चांदी सा दमकता है सिंधिया का महल, तस्वीरें कर देंगी हैरान

146 साल बाद भी सोने-चांदी सा दमकता है ज्योतिरादित्य सिंधिया का जयविलास महल, देखें तस्वीरें…।

ग्वालियरOct 16, 2021 / 07:32 pm

Faiz

146 साल पुराना होने के बाद भी सोने-चांदी सा दमकता है सिंधिया का महल, तस्वीरें कर देंगी हैरान

ग्वालियर. केंद्रीय नागर विमानन मंत्री एवं भाजपा के दिग्गज नेता शुक्रवार को अपनी रियासत में महाराजा के रूप में नजर आए। सिंधिया राजघराने के राजवंश ज्योतिरादित्य ने दशहरे पर राजसी अंदाज में रियासत कालीन परंपरा को निभाते हुए महाराज बाड़ा स्थित देवघर में पूजा अर्चना करने के बाद ‘प्रजा’ से रूबरू हुए। ज्योतिरादित्य सिंधिया न सिर्फ दिग्गज नेता हैं, बल्कि वो राजघराने के वारिस भी हैं। सिंधिया के जय विलास पैलेस को बाहर से तो कई लोगों ने देखा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं, कि ज्या‍ेतिरादित्य सिंध‍िया का महल अंदर से कैसा दिखता है। सिंधिया के महल की खास बात ये है कि, 146 साल पुराना होने के बाद भी आज उनका महल सोने-चांदी की तरह दमकता है। आइए जानते हैं, सिंधिया के उस महल के बारे में जहां आज भी उनक परिवार रहता है।


सिंधिया का जयविलास महल 12 लाख वर्गफीट से भी ज्यादा एरिया में बना हुआ है। मौजूदा समय में सिंधिया ही इस महल के इकलौते मालिक हैं। महल में 400 कमरे हैं, साथ ही हर आयोजन के अनुसार, अलग अलग थीम पर आधारित हॉल हैं। महल का निर्माण महाराजाधिराज जयजीराव सिंधिया अलीजाह बहादुर ने 1874 में बनवाया था। उस समय इस महल की लागत 1 करोड़ रुपये थी। लेकिन, इस महल की आज की वेल्यू से आंकलन करें, तो इस सुंदर शाही महल की आज कीमत 4000 करोड़ से भी अधिक है।


इतालवी, टस्कन और कोरिंथियन शैली का बेहतरीन नमूना

इस महल का आर्किटेक्ट डिजाइन सर माइकल फिलोस ने किया गया था। इन्हें अपने दौर में वास्तुकला के इतालवी, टस्कन और कोरिंथियन शैली का खासा ज्ञान था, वही झलक महल के निर्माण में खास तौर पर दिखाई देती है। ज्ञात होकि जयविलास महल, ग्वालियर में सिंध‍िया राजपरिवार का वर्तमान निवास स्थल ही नहीं बल्कि एक भव्य संग्रहालय भी है।

 

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1964 में आमजन के लिए खोला गया था महल

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महल एक हिस्सा इतिहास को संजोने के लिए एक संग्रहालय के रूप में इस्तेमाल किया गया है। कुल 1,240,771 वर्ग फीट में फैले इस महल के एक प्रमुख हिस्से को वैसे ही संरक्षित किया गया है जिस तरह से इसका निर्माण किया गया था। बता दें कि, इस राजसी महल का निर्माण वेल्स के राजकुमार, किंग एडवर्ड VI के स्वागत के लिए किया गया था। साथ ही, ये सिंधिया राजवंश का निवास भी हुआ करता था। साल 1964 में इसे आम जनता के लिए खोला गया था। भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया इस भव्य महल के कानूनी रूप से मालिक हैं।


दो टन के फानूस

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महल की भव्यता को देखने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। महल का प्रसिद्ध दरबार हॉल इस महल के भव्य अतीत का गवाह है। इसमें लगे हुए दो फानूसों का भार दो-दो टन का है। कहते हैं, इन्हें जब टांगा गया उस समय दस हाथियों को छत पर चढ़ाकर छत की मजबूती परखी गई थी। सिंधिया महल में स्थित ड्राइंग रूम का फ़र्नीचर अबतक के सबसे एंटीक फर्नीचर में से एक माना जाता है। महल के करीब 35 कमरों को संग्रहालय के तौर पर तैयार किया गया है, जिसे देखने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं।

 

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महल में माधवराव सिंधिया का कक्ष सबसे खास

146 साल पुराना होने के बाद भी सोने-चांदी सा दमकता है सिंधिया का महल, तस्वीरें कर देंगी हैरान

महल के सभी 400 कमरों में सबसे खास कमरा ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया का कक्ष है। उनके स्वर्गवास के बाद भी आज ये कक्ष उनके नाम से ही संरक्षि‍त किया गया है। इस कमरे में माधवराव ने अपनी पसंद के आर्किटेक्ट के अनुसार बनवाया था। वहीं, संग्रहालय की सबसे आकर्षित चीज चांदी की रेल है, जिसकी पटरियां डाइनिंग टेबल पर लगी हैं। अति विशिष्ट दावतों में ये रेल खाने की वस्तुएं परोसते हुए चलती है। इस हॉल में इटली, फ्रांस, चीन और अन्य कई देशों की दुर्लभ कलाकृतियों को दर्शाया गया है।

 

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