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थैलेसीमिया के लक्षण
- शरीर में खून की कमी।
- नाखून और जीभ में पीलापन आना।
- चेहरे की हड्डी की विकृति।
- शारीरिक विकास की गति धीमी होना या रुक जाना।
- वजन ना बढ़ना व कुपोषण
- कमजोरी व सांस लेने में तकलीफ
- पेट में सूजन तथा मूत्र संबंधी समस्याएं।
1938 में आया था प्रथम मामला
भारत में थैलेसीमिया का पहला मामला 1938 में सामने आया था। 1994 में पहली बार थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन ने आठ मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया था। इस साल विश्व थैलेसीमिया दिवस की थीम है, जीवन कोसशक्त बनाना, प्रगति को गले लगाना: सभी
के लिए न्यायसंगत और सुलभ थैलेसीमिया उपचार उपलब्ध कराना है।
2010 से उपलब्ध करवा रहे ब्लड
शिप्रा हेल्थ फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ.खोजेमा सैफी ने बताया कि 2010 से नियमित रूप से जरूरतमंदों को नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध करवा रहे हैं। पीड़ित मरीजों को गोद लेकर नियमित रक्त उपलब्ध करवाया जाता है। थैलेसीमिया के पेशेंट को हर 8 से 10 दिन में ब्लड चढ़ाया जाता है, इसके लिए हम अधिक से अधिक लोगों को रक्तदान करने का आग्रह भी करते हैं।हफ्ते भर में ही ब्लड चढ़ाना पड़ जाता है
थैलेसीमिया क्रोनिक ब्लड डिसऑर्डर है। यह एक आनुवांशिक बीमारी है, जिसके कारण आरबीसी में पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता। पेशेंट का हीमोग्लोबिन 10 के आसपास मेंटेन रखना पड़ता है। इसका इलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांट ही है, जिससे पेशेंट की 90 फीसदी तक सही होने की संभावना रहती है। थैलेसीमिया पेशेंट की बीमारी बढ़ जाने पर कई बार हफ्ते भर में ही ब्लड चढ़ाना पड़ जाता है।डॉ.अजय गौड़, शिशु रोग विशेषज्ञ