…ताकि पराली जलाने की नौबत ही ना आए, धान की कटाई सुपर सीडर से करने की सलाह
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हनुमानगढ़. किसान धान की कटाई सुपर सीडर से करें ताकि पराली जलाने की नौबत ही ना आए। पराली जलाने से पर्यावरण नुकसान के साथ आमजन को भी सांस लेने में तकलीफ होती है।
…ताकि पराली जलाने की नौबत ही ना आए, धान की कटाई सुपर सीडर से करने की सलाह
…ताकि पराली जलाने की नौबत ही ना आए, धान की कटाई सुपर सीडर से करने की सलाह
हनुमानगढ़. किसान धान की कटाई सुपर सीडर से करें ताकि पराली जलाने की नौबत ही ना आए। पराली जलाने से पर्यावरण नुकसान के साथ आमजन को भी सांस लेने में तकलीफ होती है। जिला कलक्टर जाकिर हुसैन ने यह बात कृषि विभाग की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर चक ज्वालासिंहवाला के चक 43 में शुक्रवार को आयोजित गोष्ठी में कही। जिला कलक्टर ने कहा कि किसान अगली फसल की बुवाई की जल्दी में चावल की खेती के तुरंत बाद पराली को खेत में ही जला देता है। इससे पर्यावरण को नुकसान होता है। चारों ओर धुएं की परत जमा हो जाती है और रोगियों के लिए श्वांस लेना मुश्किल हो जाता है। केन्द्र सरकार उपग्रह के माध्यम से ये जान लेती है कि कहां पराली जलाई जा रही है। लिहाजा किसान जुर्माने से बचने और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचे। इसको लेकर अपने खेत में पराली ना जलाए। बल्कि धान की कटाई भी सुपर सीडर जिसे हैप्पी सीडर भी कहा जाता है, से करें ताकि फसल की कटाई के साथ नई फसल की बुवाई भी साथ साथ हो जाएगी। कृषि विभाग के उपनिदेशक दानाराम गोदारा ने बताया कि जिले में कुल सात सुपर सीडर या हैप्पी सीडर का टार्गेट दिया गया था। जिसे पूरा कर दिया गया है। सुपर सीडर की कीमत करीब सवा दो लाख है और सरकार इस पर 40 फीसदी का अनुदान देती है। ये मशीन धान की कटाई जड़ से करने के साथ साथ नई फसल की बुवाई भी करती है। साथ ही हल्का रोलर भी जमीन पर फेरती है। लिहाजा किसान को एक ही मशीन से दो काम हो जाते हैं। गोष्ठी में गोदारा ने फसल अवशेष प्रबन्धन, एनजीटी द्वारा फसल अवशेषों को जलाने पर लगाए गए प्रतिबन्ध, पर्यावरण, भूमि उर्वरा शक्ति बढ़ाने हेतु फसल अवशेष को आधुनिक कृषि यन्त्रों द्वारा प्रबन्धन करने हेतु प्रेरित किया।
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