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हनुमानगढ़

साई खिलाडिय़ों को पछाड़ छाई म्हारे गांव की छोरियां

साई सेंटर व खेल अकादमी की खिलाडिय़ों को पछाडकऱ हनुमानगढ़ के गांव सिलवाला खुर्द की लड़कियों ने भारतीय वॉलीबॉल टीम के कैंप में बनाई जगह

हनुमानगढ़May 09, 2024 / 09:43 am

adrish khan

By defeating the players of SAI Center and Sports Academy, the girls of village Silwala Khurd of Hanumangarh made a place in the camp of the Indian volleyball team

By defeating the players of SAI Center and Sports Academy, the girls of village Silwala Khurd of Hanumangarh made a place in the camp of the Indian volleyball team

हनुमानगढ़. राज्य व देश भर में संचालित कई साई सेंटर व खेल अकादमी की खिलाडिय़ों को पछाडकऱ हनुमानगढ़ के गांव सिलवाला खुर्द की होनहार लड़कियों ने एक बार फिर वॉलीबाल में अपनी धाक जमाई है। बिना किसी सरकारी सहायता व साधन-संसाधनों के गांव में ही कोच बसंतसिंह मान के मार्गदर्शन में अपने खेल कौशल को निखार कर तीन लड़कियों ने भारतीय वॉलीबाल टीम के कैंप में जगह बनाई है। उम्मीद है कि जल्दी ही सिलवाला की तीनों बेटियां भारतीय टीम में खेलती नजर आ सकती हैं।
कोच बसंतसिंह मान ने बताया कि पिछले दिनों हुए ट्रायल के दौरान देश भर की सैकड़ों लड़कियों ने अपना खेल कौशल दिखाया। उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर गांव की नवजोत कौर पुत्री जोगेन्द्र बराड़ का अंडर-18 भारतीय टीम चयन कैंप के लिए हुआ है। इसी तरह स्वाति पुत्री विनोद कुमार का अंडर-20 तथा कविता पुत्री सुभाषचंद्र का अंडर-20 एवं सीनियर महिला टीम कैंप के लिए चयन हुआ है। प्रत्येक टीम के कैंप के लिए 30 खिलाडिय़ों का चयन किया गया है। इनमें से प्रदर्शन के आधार पर अंतिम 15 सदस्यीय टीम का चयन किया जाएगा। कोच बसंतसिंह मान ने बताया कि उपरोक्त खिलाडिय़ों का चयन ट्रायल 30 अप्रेल से चार मई तक बैंगलुरु स्थित साई सेंटर में हुआ था। एक ही गांव की तीन खिलाडिय़ों के चयन से खुशी का माहौल है। किसी भी टीम कैंप के लिए एक गांव की इतनी खिलाडिय़ों का चयन नहीं हुआ है। इस उपलब्धि के लिए कोच बसंतसिंह मान तथा चयनित खिलाडिय़ों को जगवीर झोरड़, इंद्र भांभू, विधायक अभिमन्यू पूनिया, पीटीआई गुरप्रीत सिंह, प्रीतम सिंह व अन्य ग्रामीणों ने बधाई दी।

सबको कर रहे ढेर

ठेठ गांव की टीम व सीमित साधन-सुविधा के बावजूद कड़ी मेहनत व प्रशिक्षण से साधन सम्पन्न सरकारी एकेडमी की टीम तक को गांव के होनहार खिलाडिय़ों से सजी टीम पूर्व में धूल चटा चुकी है। स्थिति यह है कि गांव की छोरियों से सजी टीम के आगे ना कोई खेल एकेडमी टिकी और ना टीम इंडिया के प्लेयर से सजी कोई टीम टिक सकी है। राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कई बार बड़े खिलाडिय़ों से लैस बड़ी टीमों को ढेर किया है। गांव सिलवाला खुर्द की लड़कियां और लडक़े वॉलीबाल में कामयाबी के निरंतर झंडे फहरा रहे हैं।

हर जगह लगातार जीत

पिछले कई साल से वॉलीबाल का ओपन एवं विद्यालयी टूर्नामेंट सिलवाला खुर्द की टीम जीत रही है। गत साल तो विद्यालयी वॉलीबाल प्रतियोगिता में 14, 17 एवं 19 वर्ष तीनों ही श्रेणी में सिलवाला खुर्द की टीम राज्य स्तर पर विजेता रही थी। वहीं पहली बार खेले गए ग्रामीण ओलिम्पिक में भी सबको धूल चटाकर राज्य स्तर पर सिलवाला की लड़कियां चैम्पियन बनी थी। एसकेडी विश्वविद्यालय की तरफ से खेलते हुए सिलवाला की लड़कियां स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी की टीम को हराकर धूम मचा चुकी है। वॉलीबाल खेल अकादमी की टीम को भी हरा चुकी है।

बदलाव की दलील

गांव सिलवाला खुर्द की लड़कियों की वॉलीबाल में बढ़ती बादशाहत इस बात की दलील है कि देश व राज्य के खेल सिस्टम में बदलाव की जरूरत है। जब सरकार से विभिन्न तरह की सुविधाएं एवं धन लेने वाले खेल संस्थान ठेठ गांव की लड़कियों की टीम से हार रहे हैं तो मंथन की आवश्यकता है। क्योंकि एकेडमी आदि में साधन-सुविधाओं की कोई कमी नहीं होती। जबकि गांव में खिलाड़ी सीमित साधनों के साथ अपना हुनर मांजते हैं। जरूरी है कि बसंतसिंह मान जैसे जुनून की हद तक प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षक तलाशे जाए। क्योंकि जिनमें खेल को लेकर जुनून हो, वही कोच ही खिलाडिय़ों में जीत की भूख पैदा कर उनको कड़ी मेहनत करने को प्रेरित कर सकता है।

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