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हनुमानगढ़

पेट भरने पर अब जेब भरने की नई भूख हुई पैदा, ज्यादातर समितियां तो सहकारिता का मकसद ही भूल बैठी

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हनुमानगढ़ जिला कृषि प्रधान है। किसानों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए किसी वक्त देश व प्रदेश में सहकारिता आंदोलन चलाया गया था। जय जवान के साथ जय किसान का नारा देकर किसानों को मानसिक रूप से समर्थ बनाया गया। इसी दौर में सहकारी बैंकों की स्थापना के साथ ग्राम सेवा सहकारी समितियां गठित कर किसानों को आर्थिक संबल देने का प्रयास किया गया।
 

हनुमानगढ़Jun 15, 2021 / 09:15 am

Purushottam Jha

पेट भरने पर अब जेब भरने की नई भूख हुई पैदा, ज्यादातर समितियां तो सहकारिता का मकसद ही भूल बैठी

पेट भरने पर अब जेब भरने की नई भूख हुई पैदा, ज्यादातर समितियां तो सहकारिता का मकसद ही भूल बैठी

पेट भरने पर अब जेब भरने की नई भूख हुई पैदा, ज्यादातर समितियां तो सहकारिता का मकसद ही भूल बैठी
हनुमानगढ़ जिला कृषि प्रधान है। किसानों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए किसी वक्त देश व प्रदेश में सहकारिता आंदोलन चलाया गया था। जय जवान के साथ जय किसान का नारा देकर किसानों को मानसिक रूप से समर्थ बनाया गया। इसी दौर में सहकारी बैंकों की स्थापना के साथ ग्राम सेवा सहकारी समितियां गठित कर किसानों को आर्थिक संबल देने का प्रयास किया गया। इसका असर यह रहा कि अन्न उत्पादन में हमारा प्रदेश व पूरा देश आत्मनिर्भर बन गया। भोजन के लिए हमें अब विदेशी सरकारों का मुंह नहीं देखना पड़ रहा। अन्न बचाने के लिए उपवास नहीं रखने पड़ रहे। लेकिन इसे विडम्बना ही कहेंगे कि पेट भरने के बाद अब सहकारिता से जुड़े लोगों में जेब भरने की नई भूख पैदा होने लगी है। इसी भूख के चलते प्रदेश और देशों में स्थापित किए गए सहकारिता उपक्रमों का सत्यानाश होता जा रहा है। सहकारी मिलों पर एक के बाद एक में ताले लग रहे हैं। प्रदेश में गत दिनों की गई ऋणी माफी योजना के दौरान भी कई कारनामे सामने आए। प्रदेश में कुछ ग्राम सेवा सहकारी समितियां जहां नवाचार के मामले में नजीर साबित हो रही है वहीं ज्यादातर समितियां तो सहकारिता का मकसद ही भूले बैठी है। हनुमानगढ़ जिले में इन दिनों नेाहर व भादरा तहसील में फसल बीमा योजना में कुछ जगह फर्जी तरीके से बीमा क्लेम की राशि उठाने की शिकायतें मिली है। केंद्रीय सहकारी बैंक स्तर पर इसकी जांच के लिए कमेटी भी गठित कर दी गई है। वहीं सहकारिता के संदर्भ में देखें तो इस तरह की शिकायतें रूटीन में आती रहती है। सरकार भी गबन की राशि रिकवर करने में ज्यादा विश्वास रखती है। इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई करने के कम ही प्रकरण सामने आते हैं। इसलिए गड़बड़ी करने वालों के हौसले पस्त नहीं होते। देखा-देखी दूसरे भी इसी रास्ते पर चल निकलते हैं। हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिला कृषि प्रधान है। इस संदर्भ में सहकारिता की अहमियत इन जिलों में अपने आप बढ़ जाती है। यहां की ग्राम सेवा सहकारी समितियां आर्थिक रूप से काफी मजबूत हैं। व्यवस्थापक व अध्यक्षों में सकारात्मक सोच विकसित हो तो ग्रामीणों की ज्यादातर जरूरतें समिति स्तर पर पूरी की जा सकती है। मगर इसके लिए उन्हें सेवा और ईमानदारी भाव से काम करना होगा। सरकार को भी समितियों की निगरानी को लेकर तकनीक का सहारा लेना पड़ेगा। तकनीकी तौर पर समितियों को मजबूत नहीं करने पर इस तरह की गड़बडिय़ों को रोकना संभव नहीं। सहकारिता से जुड़े लोगों में इससे जुड़ी असल सोच विकसित करनी होगी। नैतिकता का पाठ भी इन्हें पढ़ाना होगा। तभी हमारे धरतीपुत्रों के जीवन में खुशहाली लाई जा सकती है। मजदूरों के सूने हाथों में रोजगार का उपहार दिया जा सकता है।
यहां शिकायत पर केंद्रीय सहकारी बैंक प्रबंधन ने तीन प्रबंधकों की बनाई कमेटी
हनुमानगढ़. फसल बीमा योजना में प्रीमियम कटौती के बावजूद जिले में कई किसान क्लेम के लिए भटक रहे हैं। इस बीच भादरा तहसील में फसल बीमा योजना में गड़बड़ी करने की शिकायतें आ रही है। आरोप है ग्राम सेवा सहकारी समिति स्तर पर फर्जी तरीके से अऋणी किसानों के नाम पर भुगतान उठाया गया है। सीएम से लेकर पीएम कार्यालय स्तर पर इसकी शिकायतें की गई है। शिकायतकर्ताओं की मांग है कि गत वर्षों में क्षेत्र में जितना भी फसल बीमा क्लेम आया है, उसकी लिस्ट सार्वजनिक होनी चाहिए। साथ ही इस गड़बड़ी में शामिल अधिकारियों व कार्मिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी सरकार करे। मलसीसर, छानीबड़ी सहित आसपास में गड़बड़ी संबंधी शिकायतें सामने आने पर अब इसकी हकीकत जानने के लिए केंद्रीय सहकारी बैंक हनुमानगढ़ के एमडी दीपक कुक्कड़ ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। जांच कमेटी में केंद्रीय सहकारी बैंक हनुमानगढ़ के वरिष्ठ प्रबंधक जितेंद्र चौहान, प्रबंधक सीमा सोलंकी व विनोद कुमार को शामिल किया गया है। कमेटी में शामिल बैंक अधिकारियों को पंद्रह दिन में जांच पूरी करके इसकी रिपोर्ट सौंपने के लिए एमडी ने पाबंद किया है। अब कमेटी में शामिल अधिकारी संबंधित ग्राम सेवा सहकारी समितियों व बैंक शाखाओं से दस्तावेज प्राप्त कर इसकी जांच करेंगे। जांच पूर्ण होने के बाद ही असलियत का पता चल सकेगा।
आपत्ति के बाद अब भुगतान
खरीफ २०१९ में नोहर व भादरा के बारह पटवार मंडलों का फसल बीमा क्लेम अधिकृत बीमा कंपनी ने रोक रखा था। फसल कटाई प्रयोग पर आपत्ति जताते हुए बीमा कंपनी ने भुगतान से इनकार कर दिया था। इस आपत्ति को अब राज्य व केंद्र सरकार स्तर पर खारिज करने के बाद बीमा कंपनी ने इन पटवार मंडलों का बीमा क्लेम जारी कर दिया है। हालांकि बीमा कंपनी स्तर पर किसानों की सूची जारी नहीं की गई है। लेकिन कुछ किसानों के खाते में क्लेम की राशि जमा होने लगी है।
घोटाले की हो जांच
भादरा. फसल बीमा योजना के नाम पर किसानों के साथ धोखाधड़ी कर बैंक कार्मिकों व अन्य लोगों द्वारा किए गए घोटाले की जांच की मांग को लेकर भव्य फाउंडेशन के अध्यक्ष बजरंग सहारण के नेतृत्व में किसानों ने प्रधानमंत्री के नाम उपखंड कार्यालय में ज्ञापन सौंपा। बजरंग सहारण ने बताया कि तहसील में करोड़ों रुपए का फसल बीमा घोटाला हुआ है। गत वर्षों में जितना भी फसल बीमा क्लेम आया है उसकी लिस्ट सार्वजनिक होनी चाहिए। फसल बीमा क्लेम घोटाला करने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इस घोटाले को उच्च स्तर पर उजागर किया जाएगा।

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