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सीएम हेल्प लाइन तक सीमित झोलाछापों के विरुद्ध कार्रवाई? एक साल में ११ जगहों पर मारे छापे

झोलाछापों का जाल धीरे-धीरे जिले भर में फैल चुका है। अंचलों में इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। इधर, मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले झोलाछापों पर अंकुश लगाने में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से नाकाम दिखाई दे रहा है।

दमोहApr 30, 2024 / 08:10 pm

आकाश तिवारी

दमोह. झोलाछापों का जाल धीरे-धीरे जिले भर में फैल चुका है। अंचलों में इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। इधर, मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले झोलाछापों पर अंकुश लगाने में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से नाकाम दिखाई दे रहा है। जानकार हैरानी होगी कि विभाग ने पिछले साल जितनी भी कार्रवाईयां की हैं। वह सीएम हेल्प लाइन पर केंद्रित रही हैं। सीएम हेल्प लाइन में मिली शिकायतों के निराकरण के फेर में ११ छोलाछापों की क्लीनिकों पर छापेमार कार्रवाई हुई गई और उन्हें बंद करवाया गया था। हालांकि अब यह झोलाछाप फिर से प्रेक्टिस कर रहे हैं या नहीं इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं है। बता दें कि ऐसे झोलाछापों के विरुद्ध क्लीनिकल एस्टेब्लिस्मेंट एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है। पूर्व में स्वास्थ्य विभाग ने एक कमेटी भी बनाई थी। इसमें बीएमओ, एसडीएम और एक पुलिस कर्मी को शामिल किया गया है। लेकिन यह टीम सिर्फ शिकायती आवेदनों के आधार पर ही कार्रवाई कर रही है।

हटा व हिंडोरिया क्षेत्र में सबसे अधिक हैं झोलाछाप

एक अनुमान के तौर पर जिले में तीन सौ से अधिक झोलाछाप नियम विरुद्ध प्रैक्टिस कर रहे हैं। इनमें से सबसे ज्यादा हटा और हिंडोरिया क्षेत्र में हैं। यहां पर करीब देढ़ सौ से अधिक झोलाछाप मरीजों पर दवाओं का प्रयोग कर उन्हें ठीक करने का दावा कर रहे हैं। इनमें बंगालियों की संख्या ज्यादा है।

लीक हो रही छापेमार कार्रवाई की जानकारी

क्लीनिकल एस्टेब्लिस्मेंट एक्ट से जुड़े चिकित्सक बताते हैं कि टीम द्वारा छापेमार कार्रवाई का प्लान बनाया जाता है और मौके पर टीम भी जाती है, लेकिन टीम के आने की सूचना पहले संबंधित झोलाछाप तक पंहुच जाती है। मौके पर पहुंचने पर क्लीनिक बंद मिलती है।

बीएमओ नहीं दे रहे ध्यान, मिलीभगत के लग रहे आरोप

बताया जाता है कि ब्लॉक स्तर पर झोलाछापों पर अंकुश लगाने की पहली जिम्मेदारी बीएमओ की होती है। जिले में सात ब्लॉक हैं और सातों जगहों पर बीएमओ की तैनाती है, लेकिन सभी के अधिकार क्षेत्र में झोलाछाप पनप रहे हैं। साफ है कि झोलाछापों पर बीएमओ मेहरबान हैं और यही वजह है कि यह सभी बेखौफ होकर प्रैक्टिस कर रहे हैं।
-ऐसे समझे कार्रवाई के हाल….

केस-१
पिछले साल पटेरा ब्लॉक में नियम विरुद्ध संचालित पैथोलॉजी पर टीम ने कार्रवाई की थी। यहां पर टीम ने लैब सील की थी। जांच में मालूम चला था कि यहां पर नियम विरुद्ध जांच हो रही है। हालांकि बाद में इसे चालू करने की अनुमति दे दी गई, लेकिन सिर्फ कलेक्शन सेंटर के रूप में। पर यहां अभी नियमों का पालन हो रहा है या नही। इसका फॉलोअप नहीं लिया है।
केस-२

जबेरा में पिछले साल एक झोलाछाप की क्लीनिक पर टीम ने छापेमार कार्रवाई की थी। यहां टीम ने क्लीनिक सील की थी। सूत्रों की माने तो क्लीनिक खुलवाने के लिए पॉलीटिकल दबाव दिया गया था। लिहाजा उसके बाद संबंधित झोलाछाप के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई।
वर्शन

सीएल हेल्प लाइन पर प्राप्त शिकायतों के आधार पर ११ झोलाछापों पर कार्रवाई की हैं। सभी बंद कराई गई थीं। बीएमओ स्तर पर अंकुश लगना जरूरी है।

डॉ. रीता चटर्जी, प्रभारी क्लीनिकल एस्टेब्लिस्मेंट एक्ट

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