हटा व हिंडोरिया क्षेत्र में सबसे अधिक हैं झोलाछाप
एक अनुमान के तौर पर जिले में तीन सौ से अधिक झोलाछाप नियम विरुद्ध प्रैक्टिस कर रहे हैं। इनमें से सबसे ज्यादा हटा और हिंडोरिया क्षेत्र में हैं। यहां पर करीब देढ़ सौ से अधिक झोलाछाप मरीजों पर दवाओं का प्रयोग कर उन्हें ठीक करने का दावा कर रहे हैं। इनमें बंगालियों की संख्या ज्यादा है।लीक हो रही छापेमार कार्रवाई की जानकारी
क्लीनिकल एस्टेब्लिस्मेंट एक्ट से जुड़े चिकित्सक बताते हैं कि टीम द्वारा छापेमार कार्रवाई का प्लान बनाया जाता है और मौके पर टीम भी जाती है, लेकिन टीम के आने की सूचना पहले संबंधित झोलाछाप तक पंहुच जाती है। मौके पर पहुंचने पर क्लीनिक बंद मिलती है।बीएमओ नहीं दे रहे ध्यान, मिलीभगत के लग रहे आरोप
बताया जाता है कि ब्लॉक स्तर पर झोलाछापों पर अंकुश लगाने की पहली जिम्मेदारी बीएमओ की होती है। जिले में सात ब्लॉक हैं और सातों जगहों पर बीएमओ की तैनाती है, लेकिन सभी के अधिकार क्षेत्र में झोलाछाप पनप रहे हैं। साफ है कि झोलाछापों पर बीएमओ मेहरबान हैं और यही वजह है कि यह सभी बेखौफ होकर प्रैक्टिस कर रहे हैं।पिछले साल पटेरा ब्लॉक में नियम विरुद्ध संचालित पैथोलॉजी पर टीम ने कार्रवाई की थी। यहां पर टीम ने लैब सील की थी। जांच में मालूम चला था कि यहां पर नियम विरुद्ध जांच हो रही है। हालांकि बाद में इसे चालू करने की अनुमति दे दी गई, लेकिन सिर्फ कलेक्शन सेंटर के रूप में। पर यहां अभी नियमों का पालन हो रहा है या नही। इसका फॉलोअप नहीं लिया है।