हाइपरटेंशन किडनी में रक्त वाहिकाओं और फिल्टर को नुकसान पहुंचाता है
लीलावती अस्पताल में नेफ्रोलॉजिस्ट एल. एच. सूरतकल ने बताया, “अनियंत्रित हाइपरटेंशन (Hypertension) किडनी के आसपास की धमनियों को संकीर्ण, सख्त या कमजोर कर सकता है, जिससे ब्लड प्रेशर (Blood pressure) को छानने, शरीर में तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स को नियंत्रित करने की किडनी की प्रक्रिया बाधित होती है। हाइपरटेंशन किडनी में रक्त वाहिकाओं और फिल्टर को नुकसान पहुंचाता है और शरीर से अपशिष्ट को निकालना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।”किडनी खराब होने का खतरा
उन्होंने आगे कहा, “अनियंत्रित हाइपरटेंशन (Hypertension) गुर्दे के ऊतकों में जख्म का कारण बनता है, जिससे किडनी खराब हो सकती है या एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ईएसआरडी) हो सकता है, जिससे नकारात्मक परिणाम और मृत्यु हो सकती है। हाइपरटेंशन (Hypertension) से ग्रस्त लगभग 30 प्रतिशत लोगों को लंबे समय में किडनी खराब होने का खतरा होता है और उन्हें डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ सकती है।हाई ब्लड प्रेशर दिल, दिमाग और आंखों को भी प्रभावित करने के लिए जाना जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, गतिहीन जीवनशैली, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता और तनाव ने 15-60 आयु वर्ग के युवा भारतीयों में हाइपरटेंशन (Hypertension) के बोझ को बढ़ा दिया है।
50 से 75 प्रतिशत लोगों में हाइपरटेंशन
जिनोवा शालबी अस्पताल मुंबई के कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट और रीनल ट्रांसप्लांट फिजिशियन रूजु गाला ने बताया, “किडनी रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। हर महीने लगभग 80 से 100 मरीज इलाज के लिए आते हैं। किडनी की समस्याओं के साथ इलाज के लिए आने वाले मरीजों में से 50 से 75 प्रतिशत लोगों में हाइपरटेंशन (Hypertension) पाया जाता है।”डॉक्टर ने बताया कि हाइपरटेंशन (Hypertension) किडनी में रक्त वाहिकाओं को खराब करके और नेफ्रोस्क्लेरोसिस पैदा करके किडनी की संरचना पर व्यापक असर डालता है, जहां किडनी सख्त हो जाती है और उनके अपशिष्ट उत्पादों को छानने की क्षमता कम हो जाती है।
रूजु के अनुसार, “हाइपरटेंशन (Hypertension) गुर्दे में रक्तचाप को प्रबंधित करने और द्रव संतुलन बनाए रखने में शामिल हार्मोन और एंजाइमों में भी असंतुलन पैदा करता है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अगर भारत में आधे हाइपरटेंशन (Hypertension) से ग्रस्त लोग रक्तचाप को नियंत्रित रखते हैं, तो 2040 तक कम से कम 46 लाख मौतों को टाला जा सकता है।