इमोशनल ब्लंटिंग का ये मतलब होता है कि, एक व्यक्ति पूरी तरह से किसी भी इमोशन से गुजरता है परंतु अपनी प्रतिक्रिया को सामने वाले से ठीक से नहीं बोल पाता है इसे इमोशनल ब्लंटिंग कहा जाता है। वे अपनी भावनाएं दूसरों को नहीं बता पाता है,या बताने में उसे
हिचकिचाहट महसूस होती है। वहीँ कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनको ये मालूम नहीं होता है कि वे किस इमोशन से गुजर रहे हैं। और अपने ही भावनाओं का अनुभव नहीं कर पा रहे होते हैं। और धीरे-धीरे उनमें संभवतः भावनात्मक सुन्नता आ जाती है।
मेडिकेशन्स यानी दवाएं
एंटीडिसप्रेसेंट एक व्यक्ति को भावनात्मक रूप से इमोशनल ब्लंट बना सकती है। ये आपके तंत्रिका तंत्र में ट्रिगरिंग इनहिबिटर भी पैदा कर सकती है। जिससे आप इमोशनलेस हो सकते हैं या ये भावनाओं को फील करने की क्षमता को कम कर देता है।
ड्रग्स या एल्कोहल का सेवन आपके नर्वस सिस्टम में प्रभाव डालता है। इसके सेवन से आप ये नहीं महसूस कर पाते हैं कि आप क्या सोंच रहे हैं। इसका सेवन सोचने समझने की पावर को कम कर देता है।
डिप्रेशन
जब भी व्यक्ति डिप्रेशन में होता है वे कुछ महसूस नहीं कर पाता है। वे अपने आस-पास होने वाली चीज़ों के बारे में गैर प्रतिक्रियाशील फील करने लगता है। डिप्रेशन एक तरीके से व्यक्ति को भावनात्मक तरीके से सोचने की क्षमता को खत्म कर देती है।
पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर
भावनात्मक अलगाव, कोई बुरा या दर्दनाक फ्लैशबैक पर खराब मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति को इमोशनल ब्लंटिंग से पीड़ित बना सकती है।