दिलचस्प बात ये है कि 56 फीसदी कर्मचारियों ने बताया कि वो दफ्तर में थकान (Tiredness) महसूस करते हैं। चिंता की बात ये है कि हर चार में से एक कर्मचारी दफ्तर में तनाव, थकान, घबराहट या डिप्रेशन के बारे में खुलकर बात करने में हिचकिचाता है। उन्हें डर रहता है कि उनकी बात को गलत समझा जाएगा।
इस रिपोर्ट के बारे में ग्रेट प्लेस टू वर्क इंडिया की सीईओ यशस्विनी रामस्वामी का कहना है कि, “कर्मचारियों की खुशहाली अब सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करने का विषय नहीं रह गया है बल्कि ये बोर्ड मीटिंग में भी अहम मुद्दा बन गया है। इस साल के आंकड़ों में परेशानी की बात ये है कि कुल मिलाकर संतुष्टि में 2 अंकों की गिरावट आई है जबकि थकान महसूस करने वाले कर्मचारियों की संख्या में 3 अंकों का इजाफा हुआ है। ये आंकड़े बताते हैं कि कर्मचारियों की खुशहाली के लिए कोई एक बार की योजना काफी नहीं होती है बल्कि ये तो एक लगातार चलने वाला सफर है जिसमे लगातार मेहनत करनी पड़ती है।”
उन्होंने ये भी कहा कि, “निर्माण और रिटेल जैसी इंडस्ट्रीज़ इस मामले में आगे हैं लेकिन मेंटल हेल्थ सपोर्ट, प्रोफेशनल ग्रोथ और डेवलपमेंट, मैनेजमेंट और कर्मचारियों को जोड़े रखने के मामले में गिरावट आई है। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां मिलकर के काम करने की जरूरत है। ये कोई राज नहीं है कि हर चार में से एक कर्मचारी तनाव, थकान या घबराहट जैसी समस्याओं को बताने में इसलिए हिचकिचाता है क्योंकि उसे लगता है कि उसका मजाक उड़ाया जाएगा या फिर उसे गलत समझा जाएगा। इसलिए दफ्तरों में पारदर्शी और सहयोगी माहौल बनाने की बहुत जरूरत है.”
गौर करने वाली बात ये भी है कि रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 80 फीसदी से ज्यादा कर्मचारियों को लगता है कि उनके दफ्तर में एकजुटता का भाव है लेकिन 25 साल से कम उम्र के कर्मचारियों ने सबसे कम एकजुटता का भाव महसूस किया।