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इंटरनेट की गलत जानकारी दे रही है अस्थमा के इलाज में दिक्कत, डाक्टरों ने क्या कहा

अस्थमा के इलाज (Asthma ka ilaj hindi) में एक नई परेशानी सामने आई है, जिसे डॉक्टर IDIOT syndrom (Internet Derived Information Obstructing Treatment) कहते हैं. इसका मतलब है कि इंटरनेट से मिली गलत जानकारी अस्थमा के मरीजों का सही इलाज में रूकावट डाल रही है.

जयपुरMay 07, 2024 / 11:35 am

Manoj Kumar

IDIOT syndrome

IDIOT syndrome

अस्थमा के इलाज (Asthma ka ilaj hindi) में एक नई परेशानी सामने आई है, जिसे डॉक्टर IDIOT syndrom (Internet Derived Information Obstructing Treatment) कहते हैं. इसका मतलब है कि इंटरनेट से मिली गलत जानकारी अस्थमा के मरीजों का सही इलाज में रूकावट डाल रही है.
लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के रेस्पिरेटरी क्रिटिकल केयर यूनिट के विशेषज्ञों का कहना है कि पढ़े-लिखे लोग भी अक्सर इंटरनेट से मिली जानकारी, खासकर स्टेरॉयड के बारे में गलत जानकारी के चलते, सही इलाज कराने से कतराते हैं.

स्टेरॉयड अस्थमा का सबसे कारगर इलाज Steroids are the most effective treatment for asthma.

यूनिवर्सिटी के पूर्व रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग प्रमुख प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि हर हफ्ते दो से तीन मरीज इंटरनेट से मिली अधूरी जानकारी के कारण अस्थमा के लिए स्टेरॉयड लेने से बचते हैं. उन्होंने बताया कि डॉक्टर की देखरेख में लिए गए स्टेरॉयड अस्थमा का सबसे कारगर इलाज हैं.

सही इलाज से अस्थमा को काबू में रखा जा सकता है Asthma can be controlled with proper treatment

यूनिवर्सिटी के रेस्पिरेटरी क्रिटिकल केयर विभाग के प्रमुख प्रोफेसर वेद प्रकाश ने बताया कि भारत में हर साल करीब 1.9 लाख लोग अस्थमा की वजह से होने वाली परेशानियों से मर जाते हैं. जबकि सही इलाज से अस्थमा को काबू में रखा जा सकता है. उन्होंने बताया कि हवा की खराब गुणवत्ता अस्थमा को बढ़ाती है और जागरूकता तथा सही निदान बहुत जरूरी है.
प्रोफेसर सुमित रुंगटा ने बताया कि अस्थमा एक एलर्जी है जिसे खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे काबू में रखा जा सकता है.

asthama inhaler
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यूनिवर्सिटी के एक सर्वे में सामने आया है कि 500 में से 60 फीसदी अस्थमा के मरीज इनहेलर का गलत इस्तेमाल कर रहे थे. इससे दवा फेफड़ों तक पहुंचाने में परेशानी होती है और इलाज सही से नहीं हो पाता. नतीजतन, मरीजों को ज्यादा मात्रा में दवा लेनी पड़ती है, जबकि सही तरीके से इनहेलर इस्तेमाल करने पर कम मात्रा में दवा काफी हो सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि गलत तरीके से इनहेलर इस्तेमाल करने वाले 10 फीसदी मरीजों को शायद एक अलग तरह का इनहेलर भी दिया जा सकता है.
इनहेलर का इस्तेमाल करते समय मुंह की अच्छे से सफाई करना भी जरूरी है ताकि सांस की बीमारियों को ठीक से मैनेज किया जा सके और दांतों को भी नुकसान न पहुंचे. विशेषज्ञों ने इनहेलर इस्तेमाल करने के सही तरीके भी बताए हैं, जिनमें इनहेलर को इस्तेमाल करने से पहले हिलाना, दवा लेने से पहले पूरी हवा बाहर निकालना, इनहेलर को सही पोजिशन में पकड़ना, दवा लेते हुए गहरी सांस लेना, दवा लेने के बाद कम से कम 5 सेकंड सांस रोक कर रखना और (जरूरी होने पर) एक से ज्यादा बार दवा लेनी हो तो हर बार इनहेलर को इस्तेमाल करने से पहले उसे हिलाना शामिल है.

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