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गर्भनिरोधक गोलियों का करती हैं सेवन तो जरूर पढ़ें यह खबर, इस रोग से बढ़ सकती है आपकी मुसीबत

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भ-निरोधक गोलियों से इस्कीमिक स्ट्रोक के खतरे में वृद्धि हुई है। इन गोलियों से रक्त का थक्का बन जाता है, जिससे दिमाग की रक्त वाहिनियों में अवरोध आ जाता है।

Oct 29, 2016 / 02:17 pm

विवेक सिंह चौहान

नई दिल्ली. मोटापे के अलावा, गर्भ-निरोधक गोलियों और दूसरे कारकों- जैसे धूम्रपान, उच्च रक्तचाप या मधुमेह से महिलाओं में स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भ-निरोधक गोलियों से इस्कीमिक स्ट्रोक के खतरे में वृद्धि हुई है। इन गोलियों से रक्त का थक्का बन जाता है, जिससे दिमाग की रक्त वाहिनियों में अवरोध आ जाता है।
गुडग़ांव स्थित आर्टेमिस अस्पताल के स्ट्रोक यूनिट के सह निदेशक और न्यूरोइंटरवेंशन सर्जरी के अतिरिक्त निदेशक विपुल गुप्ता ने कहा, जो महिलाएं गर्भ-निरोधक गोलियां लेती हैं, उनमें थोड़ा ज्यादा स्ट्रोक होने का खतरा होता है। 
सर गंगा राम अस्पताल के न्यूरो प्रमुख और स्पाइन सर्जन संतराम सिंह छाबड़ा ने कहा, यह खतरा महिला के गर्भधारण करने के दौरान और बढ़ जाता है, ज्यादा रक्तचाप बढऩे से यह दिल पर दबाव डालता है। माइग्रेन भी महिलाओं में तिगुना से ज्यादा स्ट्रोक को बढ़ा सकता सकता है। 
धूम्रपान करने वाली महिला को भी गर्भ-निरोधक गोलियां न लेने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

स्ट्रोक एक गंभीर चिकित्सकीय आपात स्थिति है, जिससे अकाल मृत्यु और विकलांगता हो रही है। यह दिमाग में खून के प्रवाह के एक क्षेत्र में बंद होने से होता है, इसमें मस्तिष्क की कोशिकाओं को ऑक्सीजन नहीं मिलती और वह मरने लगती हैं।
गुप्ता बताते हैं, स्ट्रोक तब होता है, जब दिमाग के एक हिस्से में रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है। इससे दिमाग की इस इलाके की कोशिकाएं मरना शुरू हो जाती हैं। ऐसा उन्हें ऑक्सीजन और कार्य के लिए दूसरे जरूरी पोषक पदार्थ नहीं मिलने से होता है।
इस्कीमिक स्ट्रोक के अलावा एक हीमोरहाजिक स्ट्रोक होता जो एक रक्त वाहिका के फटने और मस्तिष्क में खून की वजह से होता है।

मुंबई स्थित नानावती सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख एम.जी. पिल्लई ने कहा, गठिया रोग से जुड़ा हृदयरोग और एट्रियल फ्राइब्रिलेशन युवतियों में स्ट्रोक के प्रमुख कारक के रूप में उभर रहा है।
जब दिमाग की कोशिकाएं स्ट्रोक की वजह से मरने लगती हैं तो उस इलाके में मस्तिष्क की याददाश्त और मांसपेशियों के नियंत्रण की क्षमता खत्म हो जाती है।

स्ट्रोक का उपचार इसकी प्रकार पर निर्भर करता है। एक इस्कीमिक स्ट्रोक से हुए नुकसान को दवाओं के जरिए ठीक किया जा सकता है, बशर्ते घटना के तीन घंटे के भीतर उपचार शुरू हो जाए। हीमोरहैजिक स्ट्रोक के उपचार में दिमाग में होने वाले रक्तस्राव को नियंत्रित किया जाता है।

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