बच्चों की नाक का कमाल: कोरोना से बचाती हैं ये कोशिकाएं
अध्ययन बताते हैं कि छोटे बच्चों और बड़ों में कोविड वायरस से लड़ने के लिए नाक की कोशिकाएं अलग तरह से काम करती हैं. इसी वजह से बच्चों में कोविड के लक्षण हल्के होते हैं.
How nasal cells protect kids against Covid infection
छोटे बच्चों और बड़ों में कोविड (Covid) वायरस से लड़ने वाली नाक की कोशिकाएं अलग तरह से काम करती हैं, यही कारण है कि बच्चों में कोरोना के लक्षण हल्के होते हैं। यह जानकारी एक नए अध्ययन में सामने आई है।
नाक की कोशिकाएं (NECs) बच्चों में कोरोना वायरस से जल्दी लड़ना शुरू कर देती हैं यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) और वेलकम संगर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने इस शोध में पाया कि नाक की कोशिकाएं (NECs) बच्चों में कोरोना वायरस से जल्दी लड़ना शुरू कर देती हैं। ये कोशिकाएं शरीर की पहली एंटी-वायरल रक्षा प्रणाली, इंटरफेरॉन को बढ़ा देती हैं, जिससे वायरस कम फैल पाता है।
लेकिन यह पाया गया कि उम्र बढ़ने के साथ यह असर कम होता जाता है। साथ ही, उम्रदराज लोगों की नाक की कोशिकाओं में वायरस ज्यादा बनता पाया गया और ये कोशिकाएं ज्यादा नष्ट होती हैं।
अध्ययन से जुड़ीं डॉ. क्लेयर स्मिथ का कहना है कि “हमारे शोध से पता चलता है कि उम्र के साथ हमारी नाक की कोशिकाएं कैसे बदल जाती हैं और यह कोरोना वायरस से लड़ने की क्षमता को कैसे प्रभावित करती हैं।”
बच्चों में कोरोना की वजह से सांस लेने में तकलीफ कम ही होती अध्ययन में यह भी बताया गया है कि बच्चों में कोरोना की वजह से सांस लेने में तकलीफ कम ही होती है, जबकि 85 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में कोरोना से मरने का खतरा ज्यादा रहता है, भले ही उन्हें वैक्सीन लग चुकी हो और इलाज भी मिल रहा हो।
इस शोध से अलग-अलग उम्र के लोगों के लिए खास एंटी-वायरल दवाइयां बनाने में मदद मिल सकती है, खासकर बुजुर्गों के लिए, जिन्हें कोरोना ज्यादा गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
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