scriptये हैं कमाल के इंजीनियर! जुगाड़ की तकनीक से खराब इंजनों में डाली जान | These are amazing engineers Jugaad's technique is put in poor engines | Patrika News
होशंगाबाद

ये हैं कमाल के इंजीनियर! जुगाड़ की तकनीक से खराब इंजनों में डाली जान

रेलवे को नुकसान से बचाया, यात्रियों को भी मिली राहत, रेलवे ट्रैक पर बिगडऩे वाले इंजनों में जुगाड़ की तकनीक से किया समाधान

होशंगाबादSep 16, 2018 / 08:28 pm

Manoj Kundoo

Many trains run for months, all the efforts of the railway run over time fail

Many trains run for months, all the efforts of the railway run over time fail

होशंगाबाद. तुगलकाबाद के बाद सबसे ज्यादा लोको होल्डिंग वाला इटारसी का डीजल शेड तकनीक और जुगाडू इंजीनियरिंग के बल पर देशभर में जाना जाता है। शेड के इंजीनियरों ने पटरी पर दौडऩे वाले इन इंजनों में जुगाड़ की तकनीक से कई ऐसे उपाय खोजे हैं। जिनसे न केवल रेलवे को होने वाले नुकसान से बचाया जा सका, बल्कि यात्रियों को होने वाली परेशानी से भी राहत मिली है। खास बात यह भी है कि शेड में देश भर से डीजल मैकेनिक ट्रेनिंग के लिए भी आते हैं। वर्ष १९६४ से स्थापित इस शेड में कभी ४० इंजन हुआ करते थे, अब बढ़कर १७७ है।
रेडिएटर के पाइप में जमा गंदगी से गर्म होकर बंद हो जाते थे इंजन
इंजन गर्म होने से अब ट्रेन के पहिए ट्रैक पर नहीं थमते। इंजन को ठंडा रखने के लिए इसमें लगे रेडिएटर की सफाई की तरकीब डीजल शेड में पदस्थ रहे सीनियर डीएमई सचिन पुनेठा ने खोजा था। पुनेठा वर्तमान में चैन्नई रेलवे के सीएंडडब्ल्यू विभाग के डिप्टी सीएमई हैं। उन्होंने बताया कि इंजन को ठंडा रखने के लिए 1210 लीटर क्षमता के टैंक से पानी रेडिएटर के जरिए कूलिंग करता है। रेडिएटर के पाइपों में कचरा जमने से पानी कम मात्रा में सर्कूलेट होता था। तापमान 90 डिग्री होते ही इंजन बंद हो जाते थे।
बदलना पड़ता था रेडिएटर
इस समस्या से हर महीने 30 इंजन गर्म होकर खराब हो जाते थे। पाइप बदलने में 2-3 दिन व 20 हजार खर्च आता था। ८० हजार से क्लीनिंग प्लांट बनाया गया। एक टैंक में केमिकल युक्त साल्वेंट रहता है। केमिकल को 70-75 डिग्री तक गर्म करके पाइप के जरिए रेडिएटर में 3-4 किग्रा तीव्रता से भेजा जाता है। जिससे पाइप में जमा कचरा साफ होता है।
————————
ऑइल फ्री लीकेज इंजन, पटरियों पर अब नहीं टपकता ऑइल
ऑइल फ्री लीकेज इंजन वाला इटारसी डीजल शेड देश का पहला शेड बन गया है। जिसके बाद अब देश के अन्य सभी ५१ शेडों में यह प्रयोग किया जा रहा है। शेड के सीनियर डीएमई अनुराग दत्त त्रिपाठी ने पटरी पर दौड़ते इंजनों से लीक होने वाले ऑइल से हो रहे नुकसान पर अध्ययन किया। इसके बाद उन्होंने इंजनों के ऐसे पाटर््स जिनसे ऑइल लीक होता था, उनमें तकनीकि फेरबदल करके ऑइल फ्री लीकेज इंजन बना डाला।
बोर्ड ने दिया अवार्ड
ऑयल लीकेज फ्री इंजन ११४२४ डब्ल्यूडीएम-थ्रीडी बनाया है। इंजन तैयार होने के बाद सबसे पहले उसे जबलपुर रूट पर ट्रेन में लगाकर चलाया गया। प्रयोग सफल होने पर रेलवे बोर्ड के मेंबर ऑफ इंजीनियर हेमंत कुमार ने चेक करके सर्टिफाइड किया। जिसके बाद शेड को 50 हजार रुपए का अवार्ड दिया गया।
———————-
एक आइडिया और खराब रबर पेड से दूर कर दी इंजन बंद होने की समस्या
शेड में मास्टर क्राफ्टमेन के पद पर रहे पीपल मोहल्ला निवासी अब्दुल सईद खान ने दस रुपए के खराब रबर पेड से इंजन की एक ऐसी समस्या का समाधान कर डाला, जिसकी वजह से हर साल रेलवे के ३६ इंजन खराब हो जाते थे। यह समस्या है फ्यूल इंजेक्शन पंप के हेडर का बोल्ट टूटने से इंजन बंद होने की। रेलवे ट्रैैक पर इंजन के दोडऩे से कंपन पैदा होता था, इससे हेडर का बोल्ट ब्राइबेशन से टूट जाते थे। जिसके बाद डीजल इंजन तक नहीं पहुंच पाता था और इंजन बंद जाते थे।
ऐसे आया आइडिया
रिटायर्ड रेलकर्मी अब्दुल सईद बताते हैं कि इस समस्या के कारण इंजन शेड में मेंटनेंस के लिए आते थे। इसी दौरान स्क्रेप यार्ड में खराब पड़े रबर पेड पर नजर पड़ी तो आइडिया आया। रबर पेड को हेड कनेक्टर के बोल्ट के नीचे और आसपास लगाया गया। जिससे बाइबे्रशन का दबाब कम होने से समस्या पूरी तरह खत्म हो गई। इस आइडिया के लिए रेलवे बोर्ड से उन्हें अवार्ड भी मिला।

Home / Hoshangabad / ये हैं कमाल के इंजीनियर! जुगाड़ की तकनीक से खराब इंजनों में डाली जान

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो