हेनरी साकैडा की किताब ‘हीरोइन्स ऑफ द सोवियत यूनियन’ के मुताबिक ल्यूडमिला पहले हथियारों की फैक्ट्री में काम करती थीं, लेकिन बाद में एक लड़के की चुनौती की वजह से वो स्नाइपर (निशानेबाज) बन गईं। 12 जुलाई 1916 को यूक्रेन के एक गांव में जन्मीं ल्यूडमिला ने महज 14 साल की उम्र में ही हथियार थाम लिया था। एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पड़ोस में रहने वाला एक लड़का शूटिंग सीखता था और वो लड़कियों को कमजोर समझता था। उसके मुताकि लड़कियां शूटिंग नहीं कर सकती थी। उसकी बात को गलत साबित करने के लिए उन्होंने स्नापर बनने का फैसला लिया था।
ल्यूडमिला द्वितीय विश्व युद्ध के समय सोवियत संघ की रेड आर्मी में एक बेहतरीन स्नाइपर थीं। उन्होंने अपनी काबलियत से सारे नियमों को बदल दिया था। हालांकि 1942 में युद्ध के दौरान वह बुरी तरह घायल हो गईं थी। मगर चोट से उबरने के बाद उन्होंने रेड आर्मी के दूसरे निशानेबाजों को ट्रेनिंग देना शुरू किया और फिर बाद में वह रेड आर्मी की प्रवक्ता भी बनीं।