मैडम मेरी तुसाद मोम के पुतले शुरुआती दौर में अपनी मां के लिए बनाती थीं। दरअसल उनकी मां डॉक्टर फिलिफ के यहा नौकरी करती थीं। वे मोम के अंगों का इस्तेमाल लोगों के इलाज के लिए करते थे। उन्हीं से मैडम मेरी ने मोम के पुतले बनाने की कला सीखी थी। बाद में मेरी को ये काम काफी अच्छा लगने लगा और उन्होंने इसे अपना पेशा बना लिया।
मैडम मेरी मोम के पुतले बनाकर लंदन के बेकर स्ट्रीट बाजार में बेचा करती थीं। यहां वो इनकी प्रदर्शनी लगाती थीं। उनकी कारीगरी लोगों को काफी पसंद आने लगी। धीरे-धीरे उनकी चर्चा पूरे इलाके में होने लगी। आगे चलकर उनकी कलाकृतियों को रखने के लिए एक म्यूजियम बनाने का निर्णय लिया गया। मैडम मेरी ने वर्ष 1777 में पहली बार महान विचारक वाल्टेयर का मोम का पुतला बनाया था।
मैडम मेरी ने मशहूर ज्या जेक्स, रूसो और बेंजामिन फ्रेंकलिन के मोम के पुतले भी बनाये। ये सभी उन्होने साल 1789 की फ़्रांसिसी क्रान्ति से पहले बनाए थे। मैडम मेरी को शाही परिवार का खास हमदर्द माना जाता था, इसलिए मैडम मेरी को जेल भी जाना पड़ा था। सन 1794 में जब वो जेल से बाहर आई तो लन्दन में फंसी रह गयी। वही से मैडम मेरी ने फ़्रांसिसी क्रान्ति से जुड़े लोगो की मोम की मूर्तिया बनाई और इन्हें मैडम तुसाद वेक्स म्यूजियम में रखा। आज दुनिया भर में म्यूजियम की करीब २1 शाखाएं हैं।