आंसू सिर्फ खुशी और गम में ही नहीं निकलते हैं। आंसू आंखों पर होने वाले मौसम के हमले और उन्हें सूखेपन से बचाने के लिए भी निकलते हैं। वहीं आंसू तीन तरह के होते हैं जिनमें अगर बात बेसल आंसू की करें तो इनका आदमी की भावनाओं से कोई ताल्लुक नहीं होता है।
जब तेज हवा चलती है या फिर आप लगातार लंबे वक़्त तक पढा़ई करते है तो आंखों में सूखापन आ जाता है। ऐसे में आंखों की परतों को बचाने के लिए निकलते हैं। वहीं आंसू का दूसरा प्रकार है रिफ्लेक्स आंसू, जो प्याज काटने, लगातार खांसी होने, आंख में कुछ चुभने से निकलते हैं। इनका काम आंख में गई किसी भी चीज को बाहर निकालने का है।
आंसूओं का तीसरा प्रकार है इमोशनल आंसू। इनकी बात करें तो इनका सीधा संबंध इंसान की खुशी औऱ गम से जुड़ा होता है। ये आंसू भावनाओं के दबाव की वजह से अश्रू कोशिकाओं के अनियनंत्रित होने पर निकलते हैं। इन पर नियंत्रण काफी मुश्किल है।
जब कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा भावुक हो जाता है तब व्यक्ति के चेहरे की कोशिकाओ पर जो दबाव बनता है वो अश्रु ग्रंथियों को अनियंत्रित कर देता है। इसलिए कुछ लोगों को आपने देखा होगा कि उनके ज्यादा हंसने पर भी आंसू निकल जाते हैं।