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किन्नरों का अंतिम संस्कार देखने वालों की नहीं रहती खैर, जानें रहस्य

Kinnar antim sanskar : किन्नर समुदाय शव को ले जाते समय उसे जूते-चप्पलों से पीटते हैं

Jan 12, 2020 / 10:58 am

Soma Roy

Kinnar antim sanskar

Kinnar antim sanskar

नई दिल्ली। दुनिया चाहे कितनी भी तरक्की कर लें मगर समाज अभी भी किन्नरों (kinnar) को आम लोगों का दर्जा नहीं दे सके हैं। किन्नरों को हमारे समाज में तीसरे जेंडर का दर्जा दिया गया है। इसलिए इनके रहन-सहन के तरीके से लेकर अंतिम संस्कार (funeral) तक सारी चीजें अलग तरीके से होती हैं। किन्नरों के शव का दाह संस्कार रात के अंधेरे में किया जाता है। इसे देखने की अनुमति किसी को नहीं होती है।
माना जाता है कि किन्नर का जन्म भगवान के श्राप के चलते हुआ था। मगर उन्हें कुछ खास शक्तियां भी दी गई थीं। इसलिए किसी शुभ मौके पर उनका आशीर्वाद लेने से तरक्की होती है। मगर इनके अंतिम समय में कभी भी इनके आस-पास नहीं फटकना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से किन्नर नाराज हो जाते हैं। वे नहीं चाहते हैं कि अगले जन्म में आप भी किन्नर बनें।
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आम इंसान जहां अपनों के जाने पर विलाप करते हैं। वहीं किन्नर समुदाय अपने किसी करीबी की मौत पर जश्न मनाते हैं। उनके मुताबिक उनके अजीज को इस जन्म के बंधनों से मुक्ति मिली है। अब उनका उद्धार होगा। इसीलिए वे रात के अंधेरे में नाचते-गाते हुए शमशान जाते हैं। साथ ही वे शव को लात मारते हुए ले जाते हैं। इतना ही नहीं वे शव को जूते-चप्पलों से पीटते भी हैं। किन्नर शव को जलाने के बजाय दफनाते हैं। अंतिम संस्कार के बाद किन्नर समुदाय चंदा करके मृतक के नाम से दान देते हैं।

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