scriptभाजपा को राम मंदिर एवं मोदी से आस तो कांग्रेस पांच गारंटियों को भुना रही, राजनीतिक लड़ाई हुई दिलचस्प | BJP has hopes from Ram Mandir and Modi while Congress is cashing in on the five guarantees, the political fight has become interesting | Patrika News
हुबली

भाजपा को राम मंदिर एवं मोदी से आस तो कांग्रेस पांच गारंटियों को भुना रही, राजनीतिक लड़ाई हुई दिलचस्प

बेल्लारी लोकसभा क्षेत्र में भाजपा एवं कांग्रेस के बीच राजनीतिक लड़ाई दिलचस्प हो गई है। जहां भाजपा उम्मीदवार बी. श्रीरामुलु को राम मंदिर एवं मोदी से उम्मीद की आस हैं तो कांग्रेस के ई. तुकाराम गारंटियों के सहारे जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं।

हुबलीApr 30, 2024 / 12:05 am

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

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bellari lok sabha

कांग्रेस प्रत्याशी तुकाराम संदूर से चार बार के विधायक है। कांग्रेस पार्टी में ऐसी अटकलें अभी से शुरू हो गई है कि यदि तुकाराम जीते तो उनकी बेटी संदूर से विधायक बन सकती है। यदि तुकाराम हारे भी तो कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में वे मंत्री बनाए जा सकते हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो तुकाराम को दिल्ली जाने से ज्यादा राज्य की राजनीति में दिलचस्पी है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस एवं भाजपा में इस बार मुकाबला कड़ा रहने के आसार है।
2004 से भाजपा काबिज
भाजपा 2004 से बेल्लारी सीट पर काबिज है। 2019 में छह महीने को छोड़कर जब कांग्रेस के उगरप्पा ने उपचुनाव जीता था। विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए सीट खाली करने से पहले श्रीरामुलु ने 2014 और 2019 के बीच निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। बेल्लारी लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्रों में से छह पर कांग्रेस का कब्जा है। इसलिए संख्या के मामले में कांग्रेस को भाजपा पर थोड़ी बढ़त हासिल है। दूसरे पार्टी आक्रामक रूप से पांच गारंटी योजनाओं के सफल कार्यान्वयन का ढिंढोरा पीट रही है। इस उम्मीद के साथ कि क्षेत्र में महिला मतदाता अधिक है। इस निर्वाचन क्षेत्र में 18.65 लाख मतदाताओं में से 9.45 लाख महिला मतदाता हैं। ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि महिलाओं की लिए कांग्रेस सरकार की गारंटी योजनाओं का लाभ उन्हें मिला है और वे कांग्रेस के पक्ष में अधिक मतदान करेंगी। हालांकि दोनों उम्मीदवार वाल्मिकी समुदाय से हैं। इस बार भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ अनुसूचित जाति वर्ग का गुस्सा भी देखने को मिल रहा है। एक मतदाता ने कहा कि श्रीरामुलु ने क्षेत्र के विकास की तरफ ध्यान कम दिया। वे एक मंत्री भी रहे लेकिन क्षेत्र की उपेक्षा की गई। सत्ता मिलने के बाद वे दुर्लभ हो जाते हैं।
होसपेट रैली के बाद बदला परिदृश्य
हालांकि भाजपा से लम्बे समय से जुड़े कई मतदाताओं का कहना है कि हम नरेन्द्र मोदी के लिए वोट कर रहे हैं। मोदी को प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं। तुकाराम के लिए परेशानी यह है कि उनका दायरा संतूर तक सीमित है। बेल्लारी लोकसभा इलाके में कांग्रेस कार्यकर्ता एकजुट कम दिख रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बेल्लारी क्षेत्र में कांग्रेस की जीत में सबसे बड़ी बाधा मोदी फैक्टर होगा। हालांकि किसी को 2014 या 2019 जैसी स्पष्ट मोदी-लहर नहीं दिख सकती है, लेकिन विशेषाधिकार प्राप्त समुदायों, युवाओं और ग्रामीण पुरुषों के बीच एक ऐसी धारणा है जो चाहते हैं कि मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनें। हाल ही मोदी ने होसपेटे में रैली की है। इसके बाद से परिदृश्य कुछ बदला है। भाजपा को लगता है कि मोदी की रैली के बाद 5 से 10 फीसदी वोट भाजपा की झोली मेंं अधिक जाएंगे।
रेड्डी बंधुओं के विवाद का चुनाव प्रचार पर असर
हालांकि मोदी की लोकप्रियता कायम है लेकिन श्रीरामुलु को मतदाताओं को अपने पक्ष में करना इतना आसान भी नहीं होगा। रेड्डी बंधुओं के बीच पारिवारिक विवाद श्रीरामुलु के चुनाव प्रचार पर असर डाल रहा है क्योंकि सोमशेखर और उनके अनुयायी जनार्दन की पत्नी अरुणा लक्ष्मी की रैलियों में भाग नहीं ले रहे हैं। वैसे अधिकांश विपक्षी खेमें में खालीपन दिखाई दे रहा है। इससे भी श्रीरामुलु को मदद मिल सकती है। देश को बाहरी खतरों, राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास के खिलाफ नेतृत्व करने के लिए एक मजबूत नेता की जरूरत है। हालांकि कुछ मतदाता दबी जुबान में यह बात स्वीकार करते हैं कि हमें देश के लिए मोदी और राज्य के लिए सिद्धरामय्या की जरूरत है।

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