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हुबली

समानता, न्याय तथा स्वाधीनता संविधान के बुनियादी आधार

समानता, न्याय तथा स्वाधीनता संविधान के बुनियादी आधार

हुबलीNov 27, 2020 / 10:49 pm

S F Munshi

समानता, न्याय तथा स्वाधीनता संविधान के बुनियादी आधार

समानता, न्याय तथा स्वाधीनता संविधान के बुनियादी आधार

समानता, न्याय तथा स्वाधीनता संविधान के बुनियादी आधार
-संविधान दिवस पर वेबिनार
हुब्बल्ली-धारवाड़
हालांकि भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को बना परंतु संविधान को अधिकारिक रूप से 26 नवम्बर 1949 को स्वीकार किया गया था। अत: हर साल 26 नवम्बर संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह जानकारी कर्नाटक राज्य कानून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी. ईश्वर भट्ट ने दी। वे संविधान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विशेष जागरुकता विबिनार के अवसर पर बोल रहे थे। कार्यक्रम केंद्र सरकार के जन संपर्क कार्यालय, कर्नाटक राज्य कानून विश्वविद्यालय, सूचना एवं सार्वजनिक संपर्क विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था।
उन्होंने कहा कि समानता, न्याय तथा स्वाधीनता भारत के संविधान के बुनियादी आधार हैं। इसके अलावा, गणतंत्र की प्रभावशीलता इस बात पर निर्भर करती है कि वहां के लोग अपने कर्तव्यों को कितनी अच्छी तरह निभाते हैं। लोगों में संविधान के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए संविधान दिवस का उपयोग किया जाता रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार संविधान की कार्यकारी, विधायी और न्यायिक शक्तियों को परिभाषित करती है। नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को निर्दिष्ट करता है। संविधान सभी कानूनों से ऊपर है। अत: संविधान के खिलाफ कानून नहीं बनाया जा सकता है।, लॉ यूनिवर्सिटी के प्रो. सी.एस. पाटिल ने कहा कि भारत के संविधान को दुनिया में सबसे महानतम संविधानों में से एक माना जाता है। मानवता, करुणा, पर्यावरण की रक्षा, अच्छी संस्कृति और बंधुत्व के मूल कर्तव्यों का उत्थान किया जाएगा। कानून विश्वविद्यालय के रत्ना आर. भरमगौड़ा ने कहा कि भारत का संविधान मानवीय गरिमा और शक्तियों को बढ़ाता है। उन्होंने यह भी बताया कि हमारे देश की अदालतें संविधान में निहित अधिकारों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। संविधान के महत्व को समझाते हुए उन्होंने कहा कि यह मानवाधिकारों की रक्षा में, लोकतंत्र की नींव में और यह सुनिश्चित करने में सहायक रहा है कि सरकारें संविधान द्वारा शासित होती हैं।
उन्होंने कहा कि सभी को अधिनियम के कानूनों का सम्मान करना चाहिए, कि कानून में सभी समस्याओं का समाधान किया जाता है। इस अवसर पर क्षेत्रीय जनसंपर्क कार्यालय के उपनिदेशक डॉ. डी.जी. हल्लिकेरी ने कार्यक्रम के प्रारंभ में विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर समाचार व सूचना विभाग के वरिष्ठ सहायक निदेशक मंजुनाथ डोल्लिन, धारवाड़ क्षेत्र जनता कार्यालय के मुरलीधर कारभारी, डॉ. सुनिल बागडे, प्रो. आई बी. बिरादार, रश्मि मंडी, कानून विश्व विद्यालय हुब्बल्ली तथा विभिन्न राज्य के अनेक महाविद्यालय के प्राध्यापक व विद्यार्थी उपस्थित थे।

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