होनहार : सिर्फ तीन साल की उम्र में जुड़ी थी संयुक्त राष्ट्र की संपोषणीय पहल से
सिर्फ तीन साल की उम्र से माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की संपोषणीय (सस्टेनेबल) पहल के लिए काम कर रही भारतीय मूल की सात वर्षीय स्कूली छात्रा मोक्षा रॉय को ब्रिटिश प्रधानमंत्री के ‘पॉइंट्स ऑफ लाइट’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ब्रिटिश उपप्रधानमंत्री ओलिवर डाउडेन ने दुनिया की सबसे छोटी संपोषणीय पैरोकार के रूप में मोक्षा को यह पुरस्कार प्रदान किया। मोक्षा को जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए धनराशि जुटाने समेत कई संपोषणीय अभियानों से विशिष्ट पहचान मिली है।डाउडेन ने कहा, मोक्षा ने संयुक्त राष्ट्र संपोषणीय विकास लक्ष्यों की पैरोकारी करते हुए अपने काम से शानदार मिसाल कायम की। स्कूली पाठ्यक्रम में इन विषयों को स्थान दिलाने के लिए उसने लंबा संघर्ष किया। वह दुनियाभर के नेताओं को प्रोत्साहित करने के लिए उनके संपर्क में रहीं। मोक्षा भारत में वंचित स्कूली बच्चों के लिए भी मददगार रही। उसके माता-पिता रागिनी रॉय और सौरव रॉय ने कहा कि उनकी बेटी की कोशिश साबित करती है कि समाज में छोटे बच्चे की भी जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में भूमिका है।
साथी हाथ बढ़ाना...
मोक्षा ने कहा, मैं पॉइंट्स ऑफ लाइट पुरस्कार ग्रहण कर बहुत खुश हूं। मैं आशा करती हूं कि बच्चे और बड़े यह समझेंगे कि इस ग्रह और उसके लोगों की देखभाल करना, सभी के जीवन में बदलाव लाना सिर्फ कुछ लोगों का काम नहीं है।
इसमें सभी को साथ देना चाहिए
मोक्षा कहती हैं, हम अपने दांतों की देखभाल के लिए ब्रश करते हैं। उसी तरह सभी की सुरक्षा के लिए इस ग्रह की देखभाल करें। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, गरीबी और असमानता का मुकाबला करने के लिए हम सभी छोटे-छोटे काम कर सकते हैं।