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बेटी के साथ मंदिर जा रहे भाजपा नेता को कार ने मारी टक्कर, हादसे में टूटी हड्डी गत तीन साल में चाइल्ड लाइन को विभिन्न क्षेत्रों में 19 लावारिस नवजात मिल चुके हैं। इनमें से एक की जुलाई में एमवाय में मौत हो गई। 18 बच्चों को नियमों के तहत गोद दिया जा चुका है। इन मामलों में पुलिस में केस दर्ज हो चुका है, लेकिन पुलिस किसी भी मामले में आरोपियों को ढूंढ नहीं सकी।
यह है समाधान (वसीम इकबाल, चाइल्ड लाइन डायरेक्टर, इंदौर)
– शहर में लगातार बच्चे लावारिस हालत में मिल रहे हैं। इससे लगता है, लोग बच्चों को सरेंडर करने की योजना के बारे में नहीं जानते। जिला प्रशासन ने महिला एवं बाल विकास के जरिए कई जगह पालनागृह बनाए हैं। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत कोई भी बच्चे को यहां गुप्त रूप से छोड़ सकता है।
– शहर के एेसे क्षेत्रों को चिह्नित किया जाना चाहिए, जहां समय-समय पर रिप्रोडक्टिव हेल्थ के संबंध में १६ से १७ वर्ष के नाबालिग व १८ वर्ष के युवक-युवती का सेमिनार होना चाहिए। इसलिए बढ़ रही घटनाएं
लोकलाज के डर से गर्भवती व उससे जुड़े लोग नवजात को जीवित व मृत हालत में लावारिस छोड़
जाते हैं।
इन स्थानों पर हैं पालनाघर
– राजकीय बाल संरक्षण आश्रम छावनी
– मातृछाया शिशुगृह, बॉम्बे हॉस्पिटल के पास
– संजीवनी सेवा संगम, बॉम्बे हॉस्पिटल के समीप ये घटनाएं आईं समाने 5 जुलाई को चंदननगर क्षेत्र के आशियाना पैलेस में कीचड़ में लथपथ मिले नवजात को रहवासियों ने बचाया था। उसे ***** नोंच रहे थे। लोगों ने उसे पुलिस, 108 पर सूचना दी थी। उसका उपचार एमवाय हॉस्पिटल में चल रहा था, लेकिन शरीर में ज्यादा चोटें होने पर डॉक्टर ने हालात गंभीर बताई थी। ६ जुलाई को डॉक्टर ने बच्चे को मृत घोषित किया। उसे लावारिस हालत में छोडऩे वाले का पत नहीं चला। इसी तरह बाणगंगा में लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन के पास झाडि़यों में एक माह पूर्व नवजात बच्ची मिली।
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थाने में अलर्ट नहीं थे पुलिसकर्मी, रिपोर्ट में पाई गलती, अब होगी कार्रवाई अभियान के लिए बनाए मास्टर ट्रेनर वीपीएस राठौर प्रभारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास ने कहा, बेटी बचाओ, कन्या भ्रूण हत्या पर रोक के लिए विभाग ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में नुक्कड़ नाटक एवं कन्या को पढ़ाकर प्रोत्साहित कर रहा है। झुग्गी बस्ती में नियुक्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बच्चों व नाबालिग लड़कियों के मास्टर ट्रेनर के रूप में काम कर रही है। इस अभियान का समय पर फीडबैक लिया जा रहा है। वहीं पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत आंगनवाड़़ी कार्यकर्ताओं द्वारा महिलाओं का वेरिफिकेशन भी कराया जा रहा है। बाल संरक्षण योजना के तहत शिशुगृह का रजिस्ट्रेशन होता है। इसमें चाइल्ड लाइन व महिला एवं बाल विकास द्वारा बच्चे भेजे जाते हैं। शिशुगृह की निगरानी के लिए समिति बनाई
गई है।