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महाराष्ट्र में बंधक बनाए 19 मजदूरों को ठेकेदार के चंगुल से छुड़ाया

घर लौटे मजदूरों के चेहरों पर छाई खुशी, बोले- एक समय तो ऐसा लगा यहां से जिंदा नहीं जाएंगे

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19 hostage laborers rescued from contractor in Maharashtra

19 hostage laborers rescued from contractor in Maharashtra

खरगोन. गन्ना कटाई के लिए महाराष्ट्र गए 19 मजदूरों को ठेकेदार ने बंधक बना लिया। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने ताबड़तोड़ प्लॉन तैयार कर एक विशेष टीम महाराष्ट्र भेजी। सोमवार को खरगोन पुलिस ने ठेकेदार के चंगुल में फंसे सभी मजदूरों को मुक्त कराया और सकुशल घर वापसी कराई। घर लौटे मजूदरों ने कहा- एक समय तो ऐसा लगा अब यहां से जिंदा नहीं लौटेंगे। ठेकेदार द्वारा की गई यातनाओं के बारे में भी मजदूरों ने बताया। उन्होंने कहा- उनके साथ लगातार मारपीट की गई। मजदूर गणेश को आग के हवाले करने का प्रयास भी किया गया। उसने पीट में जले हुए निशान भी बताए।
उल्लेखनीय है कि बेडिय़ा क्षेत्र में कुछ लोगों ने चार-पांच दिन पहले एसपी शैलेंद्रसिंह से मुलाकात की। उन्होंने बताया था कि उनके परिवार सदस्य मजदूरी के लिए महाराष्ट्र के बीड़ जिले में गए है। परिवार सदस्यों ने बताया धनराज तीड़ निवासी खांडेवाडी माजलगांव बीड़ महाराष्ट्र करीब 20 लोगों को डेढ़ माह की मजदूरी दिलाने का कहकर ले गया था। वहां रामप्रभू तिडके, लक्ष्मण मुंडे के पास काम पर रख दिया। डेढ़ माह तक तो सबको साथ काम पर रखा, इसके बाद सबको अलग-अलग गांवों में भेज दिया। यहां उन्हें प्रताडि़त किया जाने लगा। परिजनों से मिली शिकायत के बाद पुलिस ने बंधक मजदूरों को छुड़वाने के लिए विशेष टीम महाराष्ट्र भेजी थी।

ठेकेदार के खिलाफ दर्ज कराया प्रकरण
पुलिस ने बताया मजदूरों को ग्राम खाडेवाड़ी तहसील माजलगांव थाना सिरसला जिला बीड महाराष्ट्र में बंधक बनाकर रखा गया था। वापस आए मजदूरों में 3 डेहरी बड़वाह, 2 काबरी धूलकोट, 5 घोडी बुजुर्ग चैनपुर, एक बुरहानपुर के निवासी है। इनके साथ 7 बच्चे भी छुडाए हंै। महाराष्ट्र के बीड जिले के एसपी और स्थानीय पुलिस की मदद से पुलिस उन खेतों तक पहुंची, जहां मजदूर बंधक बनाए गए थे। 19 मजदूरों को वापस लाया गया है। महाराष्ट्र पुलिस ने बंधक बनाने वाले ठेकेदारो के खिलाफ प्रकरण भी दर्ज किया है।
खाने को भरपेट भोजन तक नहीं देते थे
ठेकेदार के चंगुल से छूटकर आए मजदूरों ने कहा- सुबह 6 बजे से गन्ना कटाई पर लगाया जाता था, शाम 6 बजे तक काम लेते। रात 11 बजे तक काम करना पड़ता। काम के बाद में खेत से बाहर नहीं जाने देते थे। चार से पांच लोग हमेशा निगरानी करते थे। खाने में भी केवल मक्का, आलू देते थे। वापस आने की बात करते तो ठेकेदार के आदमी पिटाई करते।