यह भी पढ़ेंः जन्मदिन से एक दिन पूर्व मोहनखेड़ा आचार्य ऋषभचंद्र सूरीश्वर का देवलोक गमन
आज ही के दिन पूज्य गुरुदेव (mohankheda acharya rishabchandra surishwar) का जन्मदिन भी है, आज ही वे महाप्रयाण, निर्वाण की ओर चल दिए। कोरोना संक्रमण से आचार्य ऋषभचंद्र का कल देर रात इंदौर में देवलोकगमन हो गया था। उनके पार्थिव शरीर को मोहनखेड़ा तीर्थ ले जाया गया। आज सुबह पांच बजे उनका केश लोचन किया गया। बाद में उनकी देह को पांच नदियों के जल से स्नान करवाकर केसर, चंदन, इतर और सुगंधित द्रव्य से लेप किया गया। शरीर को नए वस्त्र चोल दुपट्टा, काम्बली पहना कर तैयार किया। उस दौरान साधु-साध्वी और मुनि मंडल द्वारा धार्मिक पाठ का वाचन किया जा रहा था। मंडल ने वाक्षशेप से अपने गुरु की पूजा की और बाद में उन्हें डोल में बिठाया गया।
पहली बार कोई चढ़ावा नहीं
आचार्य भक्त कपिल जैन ने बताया कि तीर्थ परिसर में ही डोल को परिक्रमा लगवाकर अंतिम संस्कार स्थान पर गाजे-बाजे के साथ ले जाया गया। शरीर पर घी का लेप व चंदन लकड़ी से दाह संस्कार किया गया। जय जय नंदा, जय जय भद्दा, गुरुजी हमरो अंतरनाथ हमने आपो आशीर्वाद… के नारे गूंज रहे थे। सभी ने परिक्रमा कर गुरुदेव को विदाई दी। गौरतलब है कि पहली बार तीर्थ पर किसी भी बोली (चढ़ावा) के बिना आचार्य का अंतिम संस्कार हुआ।
दिया गार्ड ऑफ ऑनर
आचार्य ऋषभचंद्र का कोरोना प्रोटोकॉल के तहत दाह संस्कार किया गया। प्रशासन ने गाइडलाइन तय की थी कि अंतिम संस्कार के समय 20 लोग मौजूद रहेंगे। कलेक्टर आलोक सिंह के निर्देश पर आचार्य के दाह संस्कार से पहले गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। गुरुवर को राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश में राजकीय अतिथि का दर्जा प्राप्त था। प्रदेश शासन की ओर से जिला प्रभारी मंत्री राज वर्धन सिंह दत्तीगांव, विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री ओम प्रकाश सकलेचा भी अन्तिम संस्कार में शामिल हुए थे।