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भाजपा विधायक की मौजूदगी में महिलाओं को बांटी साडि़यां प्रदूषण विभाग शहर को स्वच्छता के बाद प्रदूषण के स्तर पर भी आदर्श शहर बनाना चाहता है। हवा-पानी के प्रदूषण को कम करने के बाद इसके लिए अब ध्वनि प्रदूषण पर भी काम शुरू कर दिया गया है। स्वच्छता अभियान का असर यह रहा कि हवा में खतरनाक कणों का औसत कम हुआ है। हालांकि अभी औसत से ज्यादा है, लेकिन पांच साल पहले दो-तीन गुना से काफी कम हुआ है। वर्तमान शहर में ध्वनि की औसत तीव्रता 60 से 70 डेसीबल के आसपास रहती है। यह सामान्य क्षेत्रों के औसत से 30 प्रतिशत तक ज्यादा है। निर्धारित साइलेंट जोन भी इस प्रदूषण की चपेट में हैं।
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पुलिस अधीक्षक की गाड़ी से निकला सांप, मची अफरा-तफरी जनसंख्या और शहर का आकार बढऩे से बढ़ा शोरविभागीय अफसर बताते हैं, शहर का आकार और जनसंख्या बढऩे के साथ ही ध्वनि करने वाले स्रोतों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। इसे देखते हुए ध्वनि प्रदूषण को लेकर नई योजना बनाई जा रही है। प्रारंभिक आकलन में शहर में वाहनों के हॉर्न का प्रदूषण बहुत ज्यादा है। बाजार क्षेत्रों में वाहनों की भीड़ में ध्वनि अधिक होती है। इसके अलावा औद्योगिक मशीनरियों और भारी वाहनों का शोर भी परेशानी का कारण है।
शहर के नक्शे पर करेंगे मैपिंग शहर के नक्शे पर ध्वनि बहुल क्षेत्र को चिह्नित कर इन क्षेत्रों में वर्तमान स्थिति का सर्वे करेंगे। इसके आधार पर नोइज स्पॉट का चयन किया जाएगा। इन स्थानों पर प्रदूषण नियंत्रण का प्लान बनाया जाएगा। नए सिरे से जोन का भी निर्धारण करेंगे, जिससे मानक स्थिति को बनाए रखा जा सके। बोर्ड के वैज्ञानिक दिलीप वाघेला के अनुसार वर्तमान में शहर में आबोहवा में प्रदूषण का ऑनलाइन मापन और डिस्प्ले हो रहा है। इसमें ध्वनि को भी शामिल किया जाएगा।
ध्वनि प्रदूषण के मानक
– औद्योगिक क्षेत्र – 75 डेसीबल
– रहवासी क्षेत्र – 55 डेसीबल
– साइलेंट जोन – 45 डेसीबल