मालूम हो, 20 जनवरी 2018 में 5 करोड़ रुपए की लागत से एमवायएच में यह ट्रांसप्लांट सेंटर शुरू हुआ था। इसी वर्ष 5 मार्च को यहां 40 वर्षीय महिला का बोनमेरो ट्रांसप्लांट (bone marrow transplant) किया गया था। तब से लेकर 48 मरीजों के बोनमेरो ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। लेकिन, अब सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल (Super Speciality hospital) में मरीजों का इलाज शुरू हो चुका है। अब बोनमेरो ट्रांसप्लांट यूनिट को एमवायएच से शिफ्ट कर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में शुरू करने की तैयारी है। अस्पताल की पांचवीं मंजिल पर इसके लिए अलग ब्लॉक तैयार किया जा रहा है। सोमवार को इंदौर आए अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान ने भी यूनिट को शिफ्ट करने पर सहमति दे दी है।
मरीजों के इलाज में होगी आसानी
फिलहाल इस यूनिट में 5 से 6 बेड पर मरीजों को भर्ती किया जाता है। सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में अन्य विभागों के विशेषज्ञों की आसानी से उपलब्धता से मरीजों का इलाज आसान होगा। वैसे भी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की परिकल्पना इस तरह की जटिल बीमारियों के उपचार को देखते हुए ही की गई है।
इंफेक्शन से बचाने के लिए चुनी जगह
अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुमित शुक्ला ने बताया, कोशिश है कि दो माह के भीतर यहां मरीजों को भर्ती करना शुरू कर दें। बोनमेरो ट्रांसप्लांट के लिए आने वाले मरीजों को इंफेक्शन से बचाना बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में हमने इस यूनिट के लिए पांचवीं मंजिल को चुना है। फिलहाल इस मंजिल पर अन्य किसी विभाग के मरीज नहीं हैं।
48 का ट्रांसप्लांट
एमवायएच में बोनमेरो ट्रांसप्लांट कंसल्टेंट डॉ. प्रीति मालपानी के मुताबिक अस्पताल में अभी तक 48 मरीजों के बोनमेरो ट्रांसप्लांट किए गए हैं। इनमें छह वयस्क व शेष 18 साल से कम उम्र के मरीज हैं।
12 से अधिक बेड पर होगा उपचार
अस्पताल में फिलहाल कॉर्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी समेत अन्य विभागों द्वारा काम शुरू कर दिया गया है। अब यहां पीडियाट्रिक सर्जरी व पीडियाट्रिक विभाग के साथ मिलकर बोनमेरो ट्रांसप्लांट यूनिट का संचालन करेंगे। पांचवीं मंजिल पर करीब 12 से अधिक बेड के साथ यह यूनिट शुरू की जाएगी।
-डॉ. सुमित शुक्ला, अस्पताल अधीक्षक