must read :
हेडमास्टर ने कर ली दूसरी शादी, पत्नी से बोला काम में हाथ बंटाने के लिए लाया हूं जीएसटी फर्जीवाड़े की जांच के दौरान कर सलाहकार गोविंद अग्रवाल ने आत्महत्या की है। आरोप है, उन्होंने भी बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया। लसूडिय़ा निवासी शिकायतकर्ता मुकेश चौधरी की मे. चौधरी एसोसिएट्स फर्म है। उन्होंने फर्जी जीएसटी रिटर्न जमा कर टैक्स के्रडिट अन्य फर्म में ट्रांसफर करने की शिकायत की है। उन्होंने रिटर्न जमा करने के लिए अपनी फर्म के अकाउंटेंट को जिम्मेदारी दी थी। अकाउंटेंट ने गोविंद अग्रवाल के जरिए रिटर्न जमा कराने की जानकारी दी।
must read :
बैटकांड – विधायक आकाश विजयवर्गीय ने अपनी करतूत पर भाजपा से ऐसे मांगी माफी अग्रवाल के साथ काम करने वाले कर्मचारियों ने रिटर्न जमा कराने के लिए 15 से 20 बार मोबाइल पर आया ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) लिया। शंका है, इन्हीं पासवर्ड के जरिए फर्जीवाड़ा किया गया। चौधरी ने बयान में बताया, अग्रवाल की मौत के बाद उन्होंने अपने स्तर पर सीए से रिटर्न की जांच करवाई। इससे ही फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। अगस्त 2018 का रिटर्न फर्जी आंकड़ों के आधार पर जमा किया था। 9.92 लाख की बिक्री की जगह फर्जी बिल जोडक़र 1.27 करोड़ का रिटर्न जमा किया, जबकि अप्रैल 2019 से 12.5 करोड़ रुपए की बिक्री दिखाकर 26 बिल बताए गए।
must read :
इंदौर-दुबई फ्लाइट: अब शारजाह और आबूधाबी तक मुफ्त सफर कर सकेंगे यात्री फर्जी बिलों में 11 फर्म के नाम आए हैं। इंदौर की शिवम इंटरप्राइजेस, यश कॉरपोरेशन, एके इंटरप्राइजेस, बालाजी इंटरप्राइजेस के साथ महू और सूरत की वंश इम्पेक्स भी शामिल हैं। जांच में हो रहे खुलासे के कारण विभाग ने जांच तेज कर दी। एक-एक बिल की बारीकी से जांच की जा रही है। आशंका है, चौधरी की तरह और कारोबारियों के साथ भी इसी तरह धोखाधड़ी की गई। विभागीय सूत्रों के अनुसार, फर्जीवाड़े का आंकड़ा और कई गुना ज्यादा हो सकता है।