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तीन महीने में लिखे 50 से ज्यादा पत्र, फिर भी नहीं सुधरा आईसीसीयू का एसी

अस्पताल में खराब पड़े एयर कंडीशनर्स को सुधारने के लिए बजट ही नहीं ...

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लवीन ओव्हाल. इंदौर. एमवायएच में लाइलाज लापरवाही का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि अस्पताल में खराब पड़े एयर कंडीशनर्स को सुधारने के लिए बजट ही नहीं है। कायाकल्प के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद एसी जैसे यंत्रों को सुधारने की व्यवस्था नहीं है। अस्पताल की पांचवीं मंजिल पर हृदय रोग से पीडि़त गंभीर मरीजों के वार्ड में पांच एसी तीन माह से बंद पड़े हैं। इन्हें सुधारने के लिए मेडिसिन विभागाध्यक्ष ने 50 से ज्यादा पत्र लिखे, मगर इन्हें सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।

इतना ही नहीं, पिछले दिनों तो खुद अधीक्षक ने पत्र लिखकर सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दिए कि वे अपने स्तर पर ही इन्हें सुधरवाने का जिम्मा उठाएं। पीआईसीयू में एक दिन पहले एसी में लगी आग के बाद अस्पताल के सभी वार्डों में लगे एसी की पुख्ता जांच को लेकर भी कोई प्रबंध नहीं किए हैं।
सामान्यत: गंभीर मरीजों के वार्ड में एसी लगाते हैं। उचित उपचार के लिए वार्ड का तापमान स्थिर होना जरूरी है।

एसी के जरिए तापमान स्थिर रखने के साथ ही डॉक्टर व मरीज दोनों के लिए उपचार सहज हो जाता है। बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन के बार-बार पीडब्ल्यूडी अफसरों से एसी सुधार व मेंटेनेंस को लेकर कहने के बावजूद कोई व्यवस्था नहीं होने से सभी एसी खराब होने की स्थिति में आ चुके हैं।

पीडब्ल्यूडी अफसर भी घेरे में
अस्पताल प्रबंधन द्वारा सभी विभागाध्यक्षों को लिखे पत्र के बाद अब मेडिसिन विभाग खुद के खर्च पर एसी सुधार के लिए रुपए इकट्ठा करने में जुट गया है। वैसे हर विभाग के लिए २० हजार रुपए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को आवंटित किए जाते हैं, लेकिन यह राशि उपचार संबंधित सामग्री के लिए होती है। एेसे में विभागाध्यक्षों को नियमों से इतर जाकर इन कामों को करवाना पड़ रहा है।

आईसीसीयू में लगे एसी लंबे समय से खराब हैं। इसकी जानकारी हमारे द्वारा अधीक्षक को कई बार पत्र के जरिए दी जा चुकी है। इसके बावजूद समस्या खत्म नहीं हो रही। अब हम अपने स्तर पर ही इन्हें सुधारने की योजना बना रहे हैं।
- डॉ. अनिल भराणी, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन विभाग

आग से नहीं हुई नवजात की मौत!
संयोगितागंज पुलिस को सौंपी गई शॉर्ट पीएम रिपोर्ट में मौत प्राकृतिक बताई गई है। नवजात बच्ची की शॉर्ट पीएम रिपोर्ट में दम घुटना या सांस नली में कार्बन नहीं पाया गया है। सांस रुकने या नली में कार्बन पार्टिकल भी नहीं मिले हैं।

सीएम बोले... तीन दिन में जांच रिपोर्ट सौंपे कमेटी
इंदौर. प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल एमवायएच में हुए अग्निकांड की गूंज सरकार तक पहुंच गई। शुक्रवार को इंदौर पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पत्रकारों से कहा, घटना को सरकार ने गंभीर रूप में लिया है। मुख्यमंत्री ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी की घोषणा करते हुए कहा, डॉ. अशोक वाजपेयी, डॉ. एनके शुक्ला, डॉ. प्रेमलता जांच कर तीन दिन में रिपोर्ट सौंपेंगे। रिपोर्ट में यदि कोई दोषी पाया गया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।

संभागायुक्त संजय दुबे से सीधी बात...
आगजनी के दौरान लापरवाही और बच्चे की मौत के मामले में क्या कार्रवाई की?
वार्ड में भर्ती सभी ४७ बच्चों को नुकसान नहीं हुआ है। उनका इलाज किया जा रहा है। एक बच्चे की मौत की जांच करवाई गई है। पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी करवाई है। रिपोर्ट से स्पष्ट है, बच्चे की मौत हादसे से पहले हो चुकी थी। यदि बच्चे की मौत दम घुटने या धुएं से होती तो श्वसन नली में कार्बन आदि के कण होते। रिपोर्ट में ऐसा कोई कारण सामने नहीं आया है।

आग लगने का क्या कारण रहा, इसमें लापरवाही किसकी है?
वार्ड में आग लगने का कारण संभवत: मशीनों के लगातार चलने और वायरिंग पर अधिक लोड से शॉर्ट सर्किट होना है। कारण की बारीकी से जांच की जा रही है। सीएम ने कमेटी का गठन कर दिया है। एमवाय में लगातार मरीजों का लोड रहता है। वायरिंग काफी पुरानी हो चुकी है। अनेक जगह बदल दी गई हैं। लापरवाही का पता लगा रहे हैं।

लगातार घटनाक्रम के बाद सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
एमवाय में किसी एक की जिम्मेदारी नहीं है। डीन, डॉक्टर्स सभी की जिम्मेदारी है। शहर के लिए यह एक ही हॉस्पिटल है। मरीजों की अधिकता से मुश्किल आती है। जब भी घटना होती है, सख्ती से निपटा जाता है। लगातार सुधार भी कर रहे हैं।