scriptबी और सी ग्रेड वाले कॉलेजों के सामने ग्रांट का संकट | Grant crisis in front of B and C grade colleges in indore | Patrika News
इंदौर

बी और सी ग्रेड वाले कॉलेजों के सामने ग्रांट का संकट

डेढ़ साल में 46 सरकारी कॉलेज सहित 51 कॉलेजों को दी है ग्रेड।

इंदौरNov 18, 2019 / 01:28 am

shatrughan gupta

बी और सी ग्रेड वाले कॉलेजों के सामने ग्रांट का संकट

बी और सी ग्रेड वाले कॉलेजों के सामने ग्रांट का संकट

इंदौर. सभी कॉलेजों के लिए नैक की ग्रेडिंग अनिवार्य करने के बाद कई कॉलेजों के सामने आर्थिक संकट खड़ा होने के आसार बन गए हैं। नए नियमों के अनुसार वल्र्ड बैंक और रूसा से मिलने वाली ग्रांट के लिए कॉलेजों के पास कम से कम ए ग्रेड होना चाहिए। लेकिन, बीते महीनों में नैक ने एक भी सरकारी कॉलेज को ए ग्रेड के लायक नहीं समझा। नैक (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिएशन काउंसिल) ने जुलाई 2018 से नए प्रारूप से ग्रेडिंग निर्धारित की है। नए नियम आए हैं, इनके तहत कॉलेजों को ए, बी और सी ग्रेड की जगह ए प्लस प्लस, ए प्लस, ए, बी प्लस प्लस, बी प्लस, सी और डी ग्रेड में रखा जाता है। डी ग्रेड मिलने पर कॉलेजों को दोबारा से नैक की ग्रेड लेना होती है। बीते महीनों में नैक ने 51 कॉलेजों की ग्रेडिंग की। इनमें 46 सरकारी कॉलेज शामिल हैं। हैरानी की बात यह है कि एक भी कॉलेज ए प्लस या ए प्लस प्लस तो दूर ए ग्रेड भी हासिल नहीं कर सका। 27 सरकारी कॉलेजों को सी और 15 सरकारी कॉलेजों को बी ग्रेड मिली है जबकि कटनी का एक कॉलेज ए ग्रेड के नजदीक बी प्लस प्लस ग्रेड पा सका।
फैकल्टी की कमी बड़ी बाधा
ग्रेडिंग में पिछडऩे की सबसे बड़ी वजह परमानेंट फैकल्टी की कमी रही है। करीब-करीब सभी कॉलेज लंबे समय से फैकल्टी की कमी से जूझ रहे हैं। इसकी भरपाई गेस्ट फैकल्टी से की जाती है। पीएससी के जरिए 2017 में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा कराई जा चुकी है। इसकी प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद चयनित उम्मीदवार जॉइनिंग का इंतजार कर रहे हैं।

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