कानून-कायदे की किताब यानी निगम एक्ट में यह अधिकार सिर्फ आयुक्त को है, लेकिन उस स्थिति में जब प्रस्ताव विधि सम्मत नहीं हो और राज्य शासन के नियमानुसार नहीं हो। प्रस्ताव को पुनर्विचार के लिए भेजने के बाद एमआइसी और परिषद में अगर फिर से जस का तस पास हो जाए तो फिर आयुक्त इस पर अभिमत लेने के लिए शासन को भेजता है। इसके बाद ही कोई निर्णय होगा। ऐसी स्थिति में मैकेनाइज्ड पॉर्र्किंग भी बिना आयुक्त की स्वीकृति के पुनर्विचार के लिए एमआइसी में नहीं जाएगा। निगम अफसरों के अनुसार सभापति नरूका ने पार्किंग का प्रस्ताव अभी तक पुनर्विचार के लिए सचिव कार्यालय में नहीं भेजा है।