तीन घंटे तक मैदान में रहा ग्रेनेड रात करीब 8 बजे लोगों ने पुलिस को सूचना दी। टीआइ व पुलिस बल पहुंच गया। बम स्क्वॉड को आने में थोड़ा समय लगा और इस दौरान आसपास लोग जमा रहे। बम स्क्वाॅड के हैंड ग्रेनेड लेकर रवाना होने तक करीब तीन घंटे तक वह मैदान में पड़ा रहा।
सेना के हैंड ग्रेनेड से छोटा बम स्क्वाॅड की टीम कई बार बम मिलने पर महू भी जा चुकी है। टीम के सदस्यों का कहना था कि जो हैंड ग्रेनेड मिला है, वह आमतौर पर सेना में इस्तेमाल होने वाले हैंड ग्रेनेड से छोटा है। ऐसे हैंड ग्रेनेड आम तौर पर सेना, पैरामिलिट्री फोर्स या पुलिस ट्रेनिंग संस्थानों के पास होते हैं। हालांकि महू से इंदौर के रास्ते में यह हिस्सा आता है, जिससे आशंका है कि वहां से कोई लेकर आया और यहां फेंक दिया या गिर गया। एडिशनल डीसीपी के मुताबिक, पिन नहीं लगी, लेकिन हैंड ग्रेनेड जिंदा है। फटने पर जनहानि हो सकती थी, इसलिए बम स्क्वाॅड की टीम इसे ले गई। हालांकि जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
महू में हुए हादसे, जा चुकी है कई की जान
महू में सेना की फायरिंग रेंज के आसपास हैंड ग्रेनेड व बम फटने के कारण कई लोगों की जान जा चुकी है। सेना के जवान फायरिंग रेंज में अभ्यास करते हैं। यहां लोगों के जाने पर प्रतिबंध है, लेकिन फिर भी लोग चोरी-छिपे वहां पहुंचकर बम को कबाड़ समझकर उठा लाते हैं। तोडने के दौरान कई बार विस्फोट हुए। किसी कबाड़ वाले के जरिए हैंड ग्रेनेड द्वारकापुरी तक पहुंचने की भी आशंका है।