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इंदौर

बलात्कार के बाद चार माह की मासूम की हत्या करने वाले की फांसी पर हाई कोर्ट की भी मुहर

निचली अदालत ने घटना के महज 21 दिन में केस की सुनवाई कर आरोपी नवीन गडक़े को फांसी की सजा सुना दी थी।

इंदौरDec 25, 2018 / 11:24 am

हुसैन अली

Court Order

कोर्ट ऑर्डर

इंदौर. चार माह की मासूम के साथ बलात्कार के बाद सिर पटककर उसकी हत्या करने वाले वहशी की फांसी की सजा पर हाई कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है। निचली अदालत ने घटना के महज 21 दिन में केस की सुनवाई कर आरोपी नवीन गडक़े को फांसी की सजा सुना दी थी। इसे कंफर्म कराने के लिए शासन हाई कोर्ट आया था, जबकि गडक़े ने आदेश के खिलाफ अपील की थी।
जस्टिस पीके जायसवाल और जस्टिस एससी शर्मा की युगल पीठ ने 23 अगस्त 2018 को शासन और आरोपी की अपील पर सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा था, जो सोमवार को सुनाया गया। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही पाते हुए फांसी की सजा पर मुहर लगा दी। हालांकि गडक़े इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है। 20 अप्रैल को अलसुबह गडक़े ने घटना को अंजाम दिया था और ११ मई को कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुना दी।
विरलतम घटना

शासन की ओर से केस में पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता मनोज द्विवेदी और भुवन गौतम ने पैरवी की। निचली कोर्ट के समक्ष पुलिस ने घटना के महज सात दिन के भीतर 120 पेज का चालान पेश कर दिया था। अपराध से जुड़ी सारी कडिय़ां मिलने, डीएनएन सहित अन्य रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज और नवीन की पत्नी के बयानों को सही पाते हुए हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही माना है। कोर्ट ने घटना को विरल से विरलतम माना है।
क्या है पूरा घटना क्रम

राजबाड़ा क्षेत्र में ओटले पर सो रहे परिवार ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनकी चार माह की बच्ची गायब है। पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो बच्ची का शव शिव विलास पैलेस के एक कॉम्प्लेक्स में पड़ा मिला। बच्ची की हत्या के पहले उससे बलात्कार हुआ था। स्पेशल टीम ने महज 12 घंटे में आरोपी नवीन उर्फ अजय गडक़ेको हिरासत में ले लिया था। 7वें दिन आरोपी के खिलाफ 120 पेज का चालान और ट्रायल प्रोग्राम पेश कर दिया। अपर सत्र न्यायाधीश वर्षा शर्मा ने 7 दिन तक सात-सात घंटे सिर्फ इसी केस को सुना और 21 दिन में सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुना दिया। मामले में 29 गवाहों के बयान हुए थे। १ मई से ट्रायल शुरू हुआ। 8 मई को बयान पूरे होने के बाद 9 मई को मुल्जिम बयान किए। 10 मई को अंतिम बहस के बाद फैसला सुरक्षित रखा और 11 मई को 51 पेज में लिखे फैसले में उसे भादवि की धारा 302 और 376 के तहत दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई।
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