हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता पूर्व पार्षद महेश गर्ग की ओर से एडवोकेट मनीष यादव और एडवोकेट चंद्रकांत वर्मा ने जनहित याचिका दायर कर सरकार द्वारा किसानों से खरीदे गए गेंहू को उचित भंडारण और आगामी बारिश सीजन से भीगने को मुद्दा बनाया था, जिसमे हर वर्ष खुले में पड़ा रहने से कई क्विंटल गेंहू, अनाज बर्बाद हो जाता है। यादव ने तर्क रखे थे कि सरकार ने जनता के पैसे से किसान की उपज की जमकर खरीदी की, किंतु उसके उचित भण्डारण की व्यवस्था न होने से सेकड़ो क्विंटल अनाज भीग कर सड़ गया। जो कि जनता के टेक्स से सरकार ने खरीदा था। जबकि कोरोना महामारी ने अनाज की अहमियत बता दी समर्थन में याचिकाकर्ता की ओर से अखबारों की प्रति प्रस्तुत की गई थी। सरकार द्वारा तर्क रखे गए कि याचिका केवल अखबार में प्रकाशित खबरों के आधार पर है, इसलिए आधारहीन है।
हाई कोर्ट द्वारा दिनांक 22 जून को बहस सुन कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज जारी करते हुए न्यायालय ने ये माना कि केवल अखबार की खबरों के आधार पर याचिका हस्तक्षेप योग्य नहीं है। लेकिन गेंहू का भीगना चिंताजनक मानते हुए एडवोकेट यादव तर्कों से सहमत होकर याचिका का निराकरण करते हुए प्रशासनिक न्यायमूर्ति एस सी शर्मा और न्यायमूर्ति शेलेन्द्र शुक्ला की युगलपीठ ने सरकार को निर्देशित किया कि तुरंत बारिश का सीजन देखते हुए सरकार उचित सुरक्षित परिवहन कर खुले में पड़े गेंहू और अनाज को जल्द से जल्द वेयरहाउस और अन्य सुरक्षित स्थान पर में सुरक्षित रूप से भंडारण करें।