
Narmada's low water level, ghats start seeing stones
बड़वाह (खरगोन). नर्मदा का जलस्तर तेजी से कम होते जा रहा है। मार्च के दूसरे सप्ताह में ही पानी कम होने से जगह-जगह पत्थरों के टीले व टापू नजर आने लगे हैं। नावघाटखेड़ी मेंं नर्मदा की यह दशा देखकर भक्तों का मन भी विचलित हो रहा है।
पूर्व में यह स्थिति अप्रैल के अंतिम सप्ताह या मई में बनती थीं। लेकिन अब तो दो माह पूर्व ही पानी की कमी के चलते टापू बनते जा रहे हैं। चट्टानों से चलते हुए श्रद्धालु स्नान करने पहुंच रहे हैं। लोगों का कहना है कि अभी तो ठीक से गर्मी भी शुरु नहीं हुई। अप्रैल-मई में स्थिति ओर भी ज्यादा भयावह होगी। जानकार लोगों का कहना है कि एक तो अंधाधुंध रेत का खनन एवं जगह-जगह से नर्मदा के पानी को दूर-दूर तक पहुंचाने के लिए लगाए गए पंप हाउस से यह स्थिति बन रही है। एक अन्य कारण यह भी सामने आ रहा है कि नर्मदा के तटों के पेड़ों की कटाई भी मनमाने तरीके से होने से भी पानी की कमी होती जा रही है।
जलस्तर में कमी से भक्तों का मन दु:खी: प्रतिदिन नर्मदा स्नान के लिए जाने वाले संतोष केवट, अजय तिवारी, सुधीर सेंगर ने बताया कि नर्मदा का जलस्तर बेहद कम देखकर मन भी दु:खी होता है कि जीवन देने वाली मां रेवा का यह कैसा स्वरूप बना दिया गया है। उन्होंने बताया कि पत्थरों पर काई जमी हुई है। इसलिए स्नान के लिए नदी के पानी तक पहुंचने के दौरान अनेक श्रद्धालु गिर पड़ते हैं। बाहर से आने वाले स्नानार्थियों को जानकारी नहीं होने से उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
दोनों तटों पर पौधे लगाना जरूरी
नर्मदा मिशन के भय्यु महाराज द्वारा नर्मदा के जल के दोहन का नजीता है। उन्होंने कहा कि हम नर्मदा से ले तो बहुत कुछ रहे हैं।लेकिन उसे देने के नाम पर अगरबत्ती दिए जलाकर ही कर्तव्य समझ रहे हैं। यह श्रद्धा तो ठीक है लेकिन नर्मदा को यदि कुछ देने का मन बनाया जाए तो उसके दोनों तटों पर पौधे लगाकर उन्हें पेड़ बनाने की ओर ध्यान देना होगा। तभी हम नर्मदा से जल लेने के हकदार हो सकते हैं।
Published on:
15 Mar 2021 01:06 am
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