अधिकांश मामले में पीडि़त 13 से 17 आयु वर्ग के – केस स्टडी में तथ्य निकला कि अधिकतर मामलों में अपराधी पड़ोसी या रिश्तेदार होता है। बच्चियां पारिवारिक विवाद, बाल विवाह के डर से घर छोड़कर चली जाती हैं।
– नाबालिगों के लापता होने के अधिकांश मामले चंदन नगर, आजाद नगर, लसूडि़या, द्वारकापुरी और भंवरकुआं से हैं। इस श्रेणी में यह शहर के पांच हाई रिस्क जोन हैं।
– ऐसे अपराधों का उद्देश्य बलात्कार/शारीरिक हमला, शादी का इरादा और प्रेम संबंध रहता है।
– जांच अधिकारियों से पता चला कि चाइल्ड वेलफेयर कमेटी में काउंसलिंंग के दौरान बच्चियां माता-पिता के साथ वापस जाने को तैयार हो जाती हैं। पेशेवर मनोवैज्ञानिक परामर्श लड़कियों को आघात से उबरने में मदद कर सकता है।
ये दिए सुझाव – आइआइएम डायरेक्टर हिमांशु राय ने बताया, रिसर्च के आधार पर कुछ सुझाव दिए हैं। इसमें ईआइसी यानी इनफाॅर्मेशन, एजुकेशन, कम्युनिकेशन की थ्योरी पर काम करते हुए ऐसे मामले कम करने के प्रयास हों। चिन्हित इलाकों में लोगों को जागरूक किया जाए। ऐसे प्रकरणों में किस प्रकार कमी आए, इसके लिए अन्य विभागों व समाज से जुड़कर प्रयास किए जाएं।
– विभाग में पुरस्कार आधारित प्रोत्साहन प्रणाली होनी चाहिए, जिसमें ऐसे प्रकरणों में रिकाॅर्ड समय में अच्छा काम करने वाले पुलिस अधिकारियों को पारितोषिक मिले। इससे अन्य पुलिसकर्मी भी प्रोत्साहित होंगे तथा प्रकरणों के जल्द निराकरण व इनमें कमी लाने में सहायता मिलेगी।
– पुलिस के प्रमुख नंबर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में लगाएं। प्रकरणों के निराकरण में इंदौर पुलिस लगभग 100 प्रतिशत सफल रही है, इस बात के पोस्टर भी लगाएं, ताकि संदेश जाए कि कुछ गलत करोगे तो पकड़े जाओगे।
– मॉडल केस डायरी में कार्यप्रणाली के बेहतर क्रियान्वयन के लिए ट्रेनिंग मॉड्यूल बनाया है। इसे पुलिस अपनी कार्यप्रणाली में शामिल करती है तो ऐसे प्रकरणों के निराकरण में सहायता मिलेगी।