देश भर के डॉक्टर्स ने चेताया – अब देश में गोली, क्रीम व स्प्रे में मिलने वाला ग्लूटाथियोन इंजेक्शन कोलेजन रेशों का पुननिर्माण कर त्वचा में निखार व कसावट लाता है। इसे यूएस एफडीए ने अप्रूव नहीं किया है। भारत में दो कंपनियों को अनुमति है। यह दवा के असर तक त्वचा को गोरा रखता है।
-डॉ. मीतेश अग्रवाल, बॉम्बे हॉस्पिटल
– गोरेपन के लिए बाजार में आ रही स्टेराइड्स की क्रीम चेहरे के लिए घातक हैं। इनसे कुछ समय में गोरापन तो आ जाता है, लेकिन क्रीम लगाना छोडऩे पर चेहरा पहले से ज्यादा बदसूरत हो जाता है। सोसायटी इसे प्रतिबंधित करने के लिए सरकार से बात कर रही है।
-डॉ. रश्मि सरकार, अध्यक्ष, पिगमेंट्री डिसऑर्डर सोसायटी ऑफ इंडिया – भारतीय लोगों की त्वचा का रंग गहरा या सांवला होता है। इस कारण स्किन कैंसर का खतरा न के बराबर होता है। लेजर तकनीक से सफेद दाग सहित अन्य बीमारियों का इलाज संभव है। हमारे देश में सफेद दाग के मरीज को सामाजिक रूप से समान नहीं देखा जाता।
– डॉ. नरेंद्र गोखले, ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी
– लेजर से सफेद दाग की सर्जरी, डार्क सर्कल हटाने, चर्मरोग के इलाज व पता लगाने के लिए आई डर्माेस्कोप मशीन का उपयोग कर रहे हैं। अमूमन मरीज त्वचा के लिए स्टेराइड्स क्रीम का उपयोग कर त्वचा को नुकसान पहुंचा लेते हैं। लेजर सर्जरी के साइड इफेक्ट भी नहीं होते।
-डॉ. फोंग चू, स्किन एक्सपर्ट, उत्तर कोरिया
– दाग, धब्बे, झाइयों पर क्रीम का प्रभाव इतना नहीं होता। आधुनिक लेजर तकनीक में सेफ्टी व प्रभाव पर
ध्यान रखा जाता है। इससे जल्द रिजल्ट मिल रहे हैं। हर देश में ड्रग सेफ्टी विभाग मेडिकल डिवाइस अप्रूव करता है, साथ ही एक्सपर्ट की जरूरत होती है, जो ठीक प्रयोग करें।
-डॉ. भावेश स्र्णकार, स्किन एक्सपर्ट, इंदौर -आधुनिक लैंस ट्रेमेटोस्कोपी में १५ वेरिएशन उपलब्ध हैं। इससे पता चलता है मरीज को बायओप्सी की जरूरत है या नहीं। भारत में सांवले रंग के साथ एजिंग का फायदा भी है। भारत में औसतन ३५-४० की उम्र के बाद त्वचा पर प्रभाव दिखने लगते हैं।
-डॉ. त्रिलोक एम. तेजस्वी, स्किन स्पेशलिस्ट, यूर्निवसिटी ऑफ मिशिगन