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सुपर+मेट्रो कॉरिडोर: विकास के ट्रैक पर 2047 का इंदौर…

100 से ज्यादा नई कॉलोनियों ने बढ़ाई रौनक, जमीनों की कीमतें बढ़ीं, तेजी से हो रहा निवेश

इंदौरJan 02, 2024 / 09:22 pm

प्रमोद मिश्रा

सुपर+मेट्रो कॉरिडोर: विकास के ट्रैक पर 2047 का इंदौर...

सुपर+मेट्रो कॉरिडोर: विकास के ट्रैक पर 2047 का इंदौर…

एयरपोर्ट सेे लगा हिस्सा पहले शहर का बाहरी हिस्सा माना जाता था, लेकिन अब यह खास हो गया है। पहले बना सुपर कॉरिडोर और अब मेट्रो कॉरिडोर ने इसे यह हैसियत दी है। मल्टीनेशनल कंपनियों के साथ यहां मप्र का सबसे बड़ा स्टार्टअप पार्क आकार लेने को है। जल्द ही मुख्य सड़क पर गगन छूती इमारतें भी नजर आएंगी। पिछले 2-3 साल में इस हिस्से में 100 से ज्यादा नई कॉलोनियां आ गई हैं।
करीब 11 किमी लंबा लवकुश चौराहे से गांधी नगर डिपो तक का सुपर कॉरिडोर अब इंदौर के नेक्स्ट लेवल रूप में नजर आने लगा है। मेट्रो के ट्रायल रन के बाद इस हिस्से को देखने का लोगों का नजरिया ही बदल गया है। अब यहां हर दिन लोगों की भीड रहती है। एयरपोर्ट को सांवेर रोड व इंदौर-भोपाल बायपास से जोड़ने के लिए सिक्स लेन का सुपर कॉरिडोर आइडीए ने बनाया था।
आइडीए की पांच स्कीम, 1500 करोड़ के विकास कार्य

आइडीए ने सुपर कॉरिडोर बनाने के साथ यहां करीब 1,01,415 हेक्टेयर जमीन पर पांच स्कीम लाॅन्च की। विकास कार्यों पर भी जमकर पैसा खर्च हुआ। आइडीए ने मुख्य सुपर कॉरिडोर के साथ सर्विस रोड बनाई, ग्रीन बेल्ट विकसित किए, स्कीम तक जाने की अप्रोच रोड बनाई। बेसिक सुविधाएं आइडीए ने विकसित कीं तो अब नई कॉलोनियां तेजी से बढ़ रही हैं। स्थिति यह है कि सुपर कॉरिडोर के मुख्य हिस्से के साथ करीब 5 किमी अंदर तक खेती की जमीन के डायवर्शन के बाद कॉलोनी बन रही है। गाइड लाइन करीब एक हजार रुपए वर्गफीट है, लेकिन न्यूनतम 5 हजार स्क्वेयर फीट में प्लाॅट बेचे जा रहे हैं। आइडीए ने पांच स्कीम में करीब 32.81 किमी की सड़कें बनाईं और बिजली के पोल स्थापित किए। पांच स्कीमों को विकसित करने में आइडीए 1457 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है।
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बड़ी कंपनियां, कॉलेज के साथ अब व्यावसायिक सेंटर

सुपर कॉरिडोर पर शासन ने टीसीएस, इन्फोसिस को जमीन दी और उनकी यूनिट भी शुरू हो गई है। हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है। कई कॉलेजों को जमीनें दी गईं, कुछ शुरू भी हो गए। अब यहां बड़ी होटल, व्यावसायिक सेंटर बनाने की तैयारी है। यहां मुख्य सड़क पर 50 हजार स्क्वेयर फीट से लेकर डेढ़ लाख स्क्वेयर फीट तक के प्लाॅट निजी कंपनियों ने खरीदे हैं। जल्द ही यहां नई बिल्डिंगें बनने का काम शुरू हो जाएगा।
—————हाईटेक सुपर सिटी से लेकर कवर्ड कॉलोनियोंं की मांग
सुपर कॉरिडोर पर 300 करोड़ की हाईटेक सुपर सिटी लाने का प्लान निजी डेवलपर कर रहे हैं। रोबोटिक सिक्योरिटी सिस्टम के साथ हाईटेक सिटी बनाई जाएगी। साथ ही यहां कवर्ड कॉलोनियां भी पूरी सुविधा के साथ आ रही हैं। हाल ही में एक बड़े ग्रुप ने कवर्ड कॉलोनी लाॅन्च की, जो दो दिन में ही बुक हो गई। हर दिन बड़ी संख्या में लोग यहां प्लाॅट की जानकारी लेने पहुंच रहे हैं। जानकारी देने के लिए कॉलोनाइजरों की टीम तैनात है। मई में मेट्रो का कमर्शियल रन होने की तैयारी है। इसके बाद यहां और तेजी आएगी।
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@ टॉपिक एक्सपर्ट: मनीष कुमट, आर्किटेक्ट

ट्रैफिक, हरियाली, बिजली-पानी की हो सुविधा

किसी भी शहर की पहचान एयरपोर्ट से होती है और सुपर कॉरिडोर ने एयरपोर्ट पर आने वाले बाहरी लोगों को आकर्षित किया है। इस हिस्से में बड़ी कंपनियां, बड़े प्रोजेक्ट के साथ नई कॉलोनियां विकसित हो रही हैं। बेहतर विकास के लिए ऐसी प्लानिंग कर काम करना होगा।
ट्रैफिक: सुपर कॉरिडोर चौड़ी सड़क है, मेट्रो कॉरिडोर भी आ गया है। आसपास कॉलोनियां बढ़ रही हैं, जिससे ट्रैफिक का दबाव बढ़ेगा। कॉलोनियों में जाने में सुगमता हो, वहां रहने वालेे लोग सुरक्षित यात्रा कर सकें, इसके लिए अभी से प्लानिंग बनाकर चौराहों पर व्यवस्था करनी जरूरी है।
हरियाली: कॉलोनियां विकसित हो रही हैं, अन्य विकास भी हो रहा है। पौधरोपण कर उनके बड़े होने तक देखरेख की प्लानिंग करनी होगी।
बिजली-पानी: नई कॉलोनियों में नर्मदा का पानी पहुंचाने की योजना बनानी होगी। लोग भूमिगत जल पर कब तक निर्भर रहेंगे? सुपर कॉरिडोर पर बारिश के पानी की निकासी की सही व्यवस्था नहीं है। इससे एयरपोर्ट जाने वाले परेशान होते हैं। इसका भी निराकरण करना होगा।
मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान
आइडीए सीईओ आरपी अहिरवार के मुताबिक, सुपर कॉरिडोर के इलाके को विकसित करने के साथ वहां मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान है। स्कीमों में सड़कें बना दी गई हैं, अन्य व्यवस्थाएं की जा रही हैं। कुछ क्षेत्रों में अभी स्ट्रीट लाइटें नहीं लग पाई हैं, जिसके लिए काम किया जा रहा है। अन्य नए काम भी जल्द शुरू किए जाएंगे।

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