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एसडीएम शाश्वत शर्मा, निगम उपायुक्त महेंद्रसिंह चौहान, भवन अधिकारी विवेश जैन ने स्थिति बिगड़ती देख पूरे क्षेत्र का दौरा किया तो 15 मकान बगैर अनुमति अवैध तरीके से बनते मिले। इन सभी पर कार्रवाई की बात कहकर निगम की टीम बगैर होस्टल तोड़े लौट आई।
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एसडीएम की रिपोर्ट के बाद बीओ निलंबित
एसडीएम ने इलाके में हो रहे 15 और निर्माण की मौखिक रिपोर्ट कलेक्टर लोकेश जाटव और निगमायुक्त आशीष सिंह को दी थी। निगमायुक्त ने इसे भवन अधिकारी और भवन निरीक्षक की गलती मानते हुए भवन अधिकारी विवेश जैन को सस्पेंड कर दिया, जबकि क्षेत्र के भवन निरीक्षक हेमंत मिश्रा पहले से सस्पेंड हैं।
‘फोन’ को लेकर तरह-तरह की चर्चा
कार्रवाई रुकने के बाद रहवासियों में चर्चा होती रही कि इस बिल्डिंग को बनाने वाले राजेश कालरा के संबंध भाजपा नेता एकलव्यसिंह गौड़ से बहुत मधुर हैं। कुछ लोगों ने मंत्री सज्जनसिंह वर्मा से भी अच्छे संबंध बताए तो कुछ उन्हें मंत्री जीतू पटवारी का नजदीकी बताने लगे। कुछ लोगों ने जमीन के जादूगर बॉबी छाबड़ा द्वारा भी निर्माण को बचाने के लिए प्रयास करने की बात कही।
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कॉलोनी भी विवादास्पद
सर्वानंद गृह निर्माण सहकारी संस्था द्वारा बसाई गई सर्वानंदनगर कॉलोनी विवादास्पद रही है। जिस जमीन पर कॉलोनी बसी है उसका मास्टर प्लान में भूमि उपयोग औद्योगिक, व्यावसायिक होने के साथ आमोद-प्रमोद की जगह के लिए तय है। इसके कारण इसका नक्शा न तो टीएंडसीपी से स्वीकृत हुआ था, न ही निगम ने इसे विकसित करने की अनुमति दी। संस्था ने बगैर नक्शे के अवैध कॉलोनी बसाते हुए प्लॉट आवंटित कर दिए। इस कॉलोनी की बसाहट पर रोक के बाद भी कुछ समय से तेजी से निर्माण कार्य शुरू हुए। इस कॉलोनी की पीछे बॉबी छाबड़ा का नाम भी लिया जाता रहा है।
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हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन
हाई कोर्ट ने अवैध कॉलोनी में निर्माण को प्रतिबंधित किया है। मप्र हाई कोर्ट इंदौर की जस्टिस पीके जायसवाल और जस्टिस वीरेंद्रसिंह की युगल पीठ ने 11 अक्टूबर 2017 को पं. रामगोपाल शर्मा की याचिका पर आदेश जारी किया था। इसमें अवैध कॉलोनियों की बसाहट पर रोक के साथ मप्र म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन एक्ट की धारा 292 के तहत कार्रवाई को कहा था।
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इस धारा के तहत अवैध कॉलोनी में निर्माण होने पर अफसर कार्रवाई नहीं करते हैं या कार्रवाई रोकता है तो वह अवैध कॉलोनी बसाने का जिम्मेदार माना जाता है। उसे 7 साल तक सजा हो सकती है। चूंकि ये बिल्डिंग अवैध कॉलोनी में बन रही थी और निगम ने कार्रवाई नहीं की, जो हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
मोती तबेला में खतरनाक मकान तोड़ा
उधर, नगर निगम की टीम ने गुरुवार को बेहद जर्जर हो चुका 58/2, मोती तबेला का 75 साल पुराना दो मंजिला मकान तोड़ा। यह पिछले साल भी खतरनाक मकानों की सूची में था। निगम ने वर्तमान सूची में भी शामिल किया था। इसकी बेहद खतरनाक हो चुकी पहली मंजिल को बुलडोजर और निगम कर्मचारियों की मदद से तोड़ा।
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अधिकारी निलंबित
यहां कार्रवाई के दौरान और भी कई निर्माण होने की बात सामने आने पर सर्वे करवाया। एसडीएम से 15 निर्माण और होना मिले हैं। कलेक्टर और हमने तय किया है, सभी पर एक साथ कार्रवाई की जाएगी। इस निर्माण को नहीं रोकने वाले भवन अधिकारी को निलंबित कर दिया है।
आशीष सिंह, निगमायुक्त