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विवेकानंद की थीम पर चलता है ये ऑफिस, सर मेडम नहीं सब हैं भैया-दीदी

कॉरपोरेट्स ऑफिस में जहां अपने काम से काम रखने का कल्चर होता है, वहीं शहर की कंपनी विटीफिड में सभी एम्प्लॉयज को फैमिली की तरह ट्रीट करते हैं।

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Narendra Hazare

Jan 12, 2017

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इंदौर। बिंदास, बेबाक, बेपरवाह और अल्हड़पन... पहली नजर में युवा शब्द के मायने कुछ गैर जिम्मेदार से प्रतीत होते हैं, लेकिन हकीकत इससे जुदा है। मस्तीभरी जिंदगी में युवा पीढ़ी अपनी जिम्मेदारियों को भी समझती है। इसका नतीजा है कि मौजूदा दौर में सफलता के शीर्ष पर पहुंचने वालों में युवाओं की संख्या ज्यादा है। इस पीढ़ी के पास नई सोच, नई अप्रोच के साथ कड़ी मेहनत करने का माद्दा भी है। युवाओं के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद की जयंती पर मनाए जाने वाले युवा दिवस के मौके पर 'पत्रिका' ने शहर के कुछ ऐसे युवाओं की रीयल स्टोरी तलाशी जिन्होंने एक आइडिया पर काम करते हुए अपने सहित सोसायटी के सामने मिसाल पेश की है।

युवा सोच ने ऐसे बनाया ऑफिस का फ्रेंडली महौल

कॉरपोरेट्स ऑफिस में जहां अपने काम से काम रखने का कल्चर होता है, वहीं शहर की कंपनी विटीफिड में सभी एम्प्लॉयज को फैमिली की तरह ट्रीट करते हैं। इस ऑफिस में स्वामी विवेकानंद की थीम पर काम होता है। सभी एक दूसरे को आदर से भैया या दीदी बुलाते हैं। बता दें कि स्वामी विवेकानंद भी जब उद्बोधन देते थे उस वक्त सभी को भाई और बहन बोलते थे। यहां सभी कर्मचारियों की औसत आयु महज 21-22 साल है।

वहां कोई भी किसी को सर या मैडम कहकर नहीं बुलाता है। कंपनी के को-ओनर शंशाक वैष्णव बताते हैं, 'हम सभी एक-दूसरे को भैया और दीदी कहकर बुलाते हैं। खास बात यह कि हमारी पूरी टीम एक फैमिली की तरह ही रहती है। ऑफिस में वर्किंग ऑवर के बाद भी अपनी बॉन्डिंग को स्ट्रांग रखने के लिए हम सभी ओनर्स लोकल होने के बावजूद फैमिली के साथ नहीं रहते हैं। शहर में दो अपार्टमेंट ले रखे हैं। वहां हम अपनी टीम के ही 40 मेंबर्स के साथ रहते हैं।'

शशांक कहते हैं 'इस कल्चर का पॉजिटिव रिस्पांस हमें अपनी कंपनी के काम में दिखाई देता है। कोई भी व्यक्ति किसी भी काम को अपने घर का काम समझ कर करता है। किसी भी काम को करवाने के लिए कभी भी एक्सट्रा प्रेशर देने की जरूरत नहीं पड़ती है। वहीं अगर किसी को लगता है कि यहां वेस्टेज हो रहा है तो सभी लोग मिलकर उसे रोकने की कोशिश करते हैं।'

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हेलीकॉप्टर में बर्थ डे सेलिब्रेशन

युवा अपने खास दिन अनूठे अंदाज में मनाना चाहते हैं, उनकी इसी ख्वाहिश को ही शहर के युवा ने अपना कॅरियर बना लिया। वे हेलीकॉप्टर में बर्थ डे सेलिब्रेशन, सगाई आदि के अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। एयर एम्बुलेंस भी है, जो मरीजों को मिनटों में कहीं भी पहुंचा सकती है।

शहर के राहुल मुछाल की एक्रिएशन एविएशन इंदौर की पहली एयर सर्विस है, जो उदयपुर के लिए नियमित उड़ान भर रही है। राहुल बताते हैं, 'इंदौर के हॉस्पिटल्स एयर एंबुलेंस की सुविधा नहीं दे पा रहे थे। शेड्यूल फ्लाइट्स से दिल्ली-मुंबई को छोड़ बाकी शहरों से एक दिन में आना-जाना संभव नहीं था। समय पर अच्छा इलाज मुहैया कराने के उद्देश्य से इंदौर को ही एक्रिएशन एविएशन की लॉन्चिंग के लिए चुना। एयर एंबुलेंस में मरीज को सुपर स्पेशियलिटी आईसीयू की सुविधा दी जाती है। मरीज के साथ दो अटेंडेंट भी जा सकते हैं। बीमारी के मुताबिक दो डॉक्टर यात्रा में मरीज को ट्रीटमेंट देते हैं। इसके साथ ही इन प्लेन और हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल बर्थडे सेलिब्रेशन के लिए भी किया जा सकता है।'

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फुटबाल के दम पर स्टैनफोर्ड जाने की तैयारी

गोल करने के लिए हर दिन फुटबॉल ग्राउंड पर पसीना बहाने वाले स्टूडेंट्स के बीच से पार्थ खंडेलवाल और अमन नाडकर्णी की टेक्निक पर प्रिंसिपल सिद्धार्थ सिंह लंबे समय से निगरानी रखे थे। एकेडमी और स्पोट्र्स में काबिलियत देखते हुए सिंह ने दोनों के स्कोर काड्र्स के साथ फुटबॉल खेलते हुए वीडियोज स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूबीसी (यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया), टॉरेंस यूनिवर्सिटी भिजवाए। तीनों ही यूनिवर्सिटी के स्पोट्र्स कोच भी पार्थ और अमन के वीडियो से काफी प्रभावित हुए। इन कोचेस ने यूनिवर्सिटीज के मैनेजमेंट को रिकमेंडेशन लेटर लिखकर दोनों स्टूडेंट्स के एडमिशन के लिए कहा है।

सिद्धार्थ सिंह बताते हैं, 'टैलेंट सेंटर में स्टूडेंट्स के सपने और काबिलियत आंकने के लिए गाइडेंस सेल बनाया है। स्टूडेंट्स को पता लगने के बगैर उनके परफॉर्मेंस का एनालिसिस किया जाता है। पार्थ और अमन से पहले भी म्यूजिक, स्पोट्र्स, एकेडमिक प्लेटफॉर्म पर स्टूडेंट्स की प्रॉपर काउंसलिंग की जा चुकी है।

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वुमंस को दिला रही 'उडऩे' की आजादी

शहर की कोमल कारे ने महिलाओं की ट्रैवलिंग के लिए मेल डिपेंडेंसी खत्म करने के लिए इनीशिएटीव लिया है। इसके तहत देशभर की उन गर्ल्स, हाउसवाइफ और वर्किंग वुमंस को दुनियाभर में घूमने का मौक मिलता है, जो कि कभी अकेले ट्रैवलिंग के लिए बाहर नहीं गई थी। हाल ही में कोमल 50 से ज्यादा महिलाओं को ग्रीस की यात्रा पर लेकर गई थी। जनवरी एंड में कोमल हाउसवाइव्ज और वर्किंग वुमन्स के ग्रुप के गोवा ट्रिप पर ले जा रही हैं।

कोमल बताती हैं 'शादी से पहले गर्ल्स के घूमने-फिरने का डिसिजन पैरेंट्स और शादी के बाद हसबैंड और इन लॉज का रहता था। हमारी कोशिश उन्हें घूमने-फिरने की पूरी आजादी देने की है। शुरुआत में कुछ परिवारों ने इसका विरोध किया था। धीरे-धीरे गर्ल्स आउटिंग कॉन्सेप्ट को मंजूरी मिलने लगी हैं।' कोमल ने कहा, 'हम आउटिंग के लिए जो ग्रुप लेकर जाते हैं, उनमें सास-बहू, ननद-भाभी भी रहती हैं। ट्रैवल के दौरान उनके बीच की बॉन्डिंग भी स्ट्रांग होती है।'

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