शहर के 20 व्यापारियों के ठिकानों पर वाणिज्यिक कर विभाग ने छापे मारे थे। व्यापारी फर्जी बिलों के जरिए टैक्स चोरी कर रहे थे। इनके बदले वे टैक्स क्रेडिट हासिल कर लेते। कार्रवाई के दौरान ऐसे सबूत हाथ लगे जिसमें एक कर सलाहकार की फर्जीवाड़े में भूमिका सामने आई है। हालाकि, विभाग ने अधिकृत तौर पर कर सलाहकार का नाम सार्वजनिक नहीं किया। सलाहकार की फर्म सील होने पर टीपीए और संबंधित संस्थाओं को इसकी जानकारी लग गई है।
जांच में आया सलाहकार ने अपनी पत्नी के नाम से एक फर्म रजिस्टर्ड कराई और इसी फर्म के फर्जी बिल लगाए जाते थे। इस मामले में टीपीए के सदस्यों ने पदाधिकारियों से उक्त सलाहकार पर कार्रवाई की मांग की है। इसी मामले में एक और नया सवाल योग्यता को लेकर खड़ा हो रहा है।
सूत्रों के अनुसार सलाहकार खुद को सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंट) बताता है। टीपीए को दी गई जानकारी में भी योग्यता सीए (एफ) बताई गई। जबकि ऐसी कोई डिग्री नहीं होती है। टीपीए अध्यक्ष सीए विक्रम गुप्ते का कहना है सलाहकार के संबंध में सदस्यों ने कार्रवाई की मांग की है। अभी वाणिज्यिक कर विभाग से अधिकृत जानकारी नहीं मिली है। अगर शिकायत सही है तो नोटिस जारी कर आगे की कार्रवाई करेंगे।