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लगभग 1.75 करोड़ छोटी दुकानें बंद होने के कगार पर, इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Published: Sep 14, 2020 01:39:31 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

दुकानदारों को समर्थन पैकेज ना मिलने के कारण लगभग 1.75 करोड़ दुकानें बंद होने के कगार पर
भारतीय घरेलू व्यापार में 7 करोड़ व्यापारी हैं और इनसे 40 करोड़ से अधिक लोगों को मिलता है रोजगार

1.75 crore small shops are on verge of closure, this report revealed

1.75 crore small shops are on verge of closure, this report revealed

नई दिल्ली। भारत का घरेलू व्यापार कोविड-19 के कारण सदी के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। देश की अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की ओर दी जानकारी के अनुसार केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से कोविड-19 से राहत पाने के लिए कोई समर्थन पैकेज न मिलने के कारण देश भर में लगभग 25 फीसदी छोटे कारोबारियों की लगभग 1.75 करोड़ दुकानें बंद होने के कगार पर हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए सबसे विनाशकारी होगा।

आया अस्तित्व का संकट
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि कोरोना ने भारतीय घरेलू व्यापार का खून चूस लिया है, जो वर्तमान में अपने अस्तित्व के लिए कड़ा संघर्ष कर रहा है और हर प्रकार के कई हमले झेल रहा है। कोविड-19 से पहले के समय से देश का घरेलू व्यापार बाजार बड़े वित्तीय संकट से गुजर रहा था और कोविड-19 के बाद के समय में व्यापार को असामान्य और उच्च स्तर के वित्तीय दबाव में ला दिया है।

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बंद हो सकती हैं दुकानें
केंद्र सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज में छोटे व्यवसायों के लिए एक रुपए का भी प्रावधान नहीं था और न ही देश की किसी राज्य सरकार ने छोटे व्यवसायों के लिए कोई वित्तीय सहायता दी ही नहीं। भारत में 1.75 करोड़ दुकानें यदि बंद होती हैं तो इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों की व्यापारियों जी पूरी तरह से उपेक्षा और उदासीनता जिम्मेदार होगी और निश्चित रूप से भारत में बेरोजगारी की संख्या में इजाफा होगा, जिससे जहां अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘लोकल पर वोकल’ और आत्मनिर्भर भारत को बड़ा नुकसान होगा।

काफी है वित्तीय बोझ
उन्होंने आगे कहा कि व्यापारियों पर केंद्र और राज्य सरकार के करों के भुगतान, औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों, ईएमआई, जल और बिजली के बिल, संपत्ति कर, ब्याज के भुगतान, मजदूरी के भुगतान से लिए गए ऋण की मासिक किस्तों के भुगतान को पूरा करने का बहुत बड़ा वित्तीय बोझ है।

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40 करोड़ लोगों से ज्यादा को मिलता है रोजगार
भारतीय घरेलू व्यापार में 7 करोड़ व्यापारी हैं और इनसे 40 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। इनमें से सिर्फ सात फीसदी ही बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से मदद हासिल करने में सफल रहे हैं। शेष 93 फीसदी व्यापारी अपनी वित्तीय जरूरतों के लिए अभी भी अपारंपरिक स्रोतों पर आश्रित हैं। कैट ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से व्यापारियों के इस ज्वलंत मुद्दे का तत्काल संज्ञान लेने और व्यापारियों के लिए एक पैकेज नीति की घोषणा करने और उन्हें अपने व्यवसाय के पुनरुद्धार में मदद करने की नीति घोषित करने का आग्रह किया है।

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