मई में आधा रह गया प्रोडक्शन– असम और बंगाल ( west Bengal ) में मार्च-अप्रैल के दौरान करीब 65 फीसदी और मई में 50 फीसदी प्रोडक्शन गिरा है। सोशल डिस्टेंसिंग के चलते चाय के बागानों में कम लोगों के काम करने की वजह से काम पर बेहद बुरा असर पड़ा है। भारतीय चाय संघ ( Indian Tea Association ) ने वाणिज्य मंत्रालय और राज्य सरकारों से चाय उद्योग के लिए राहत पैकेज की मांग की है।
फिलहाल चाय की मांग में कोई कमी नहीं है। संघ ( Indian Tea Association ) का कहना है कि ईरान, रूस, संयुक्त अरब अमीरात और यूरोप जैसे देशों से असम में दूसरे दौर की तुड़ाई वाली भारतीय चाय ( Indian Tea ) की लोग काफी मांग कर रहे हैं। लेकिन फिर भी उन्हें ब्याज पर छूट, कार्यशील पूंजी की सीमा बढ़ाना और बिजली बिल के भुगतान और भविष्य निधि के बकायों को चुकाने के लिए सरकारी मदद की दरकार है।
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पिछले 5 सालों में बढ़ी है लागत– संघ ( Indian Tea Association ) का दावा है कि पिछले 5 सालों में चाय उत्पादन की लागत बढ़ी है लेकिन कीमतों में उस लिहाज से इजाफा नहीं हुआ है। इसी वजह से कोविड-19 की वजह से लगाए गए ल़ॉकडाउन ने इस उद्योग को बुरी तरह से प्रभावित किया है।