
manufacturing sector
नई दिल्ली।कोरोना वायरस का असर अब देश के डिफ्रेंट सेक्टर्स की ग्रोथ में दिखाई दे लगा है। मार्च के महीने के जो मैन्युफैक्चरिंग के आंकड़े सामने आए हैं वो चार महीने के निचले स्तर पर है। जनकारों की मानें तो नए ऑर्डर और उत्पादन में कमी की वजह ऐसे आंकड़े सामने आए हैं। जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में बाकी सेक्टर्स आंकड़ों में गिरावट देखने को मिल सकती है। गुरुवार को आईएचएस मार्किट द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) घटकर 51.8 पर आ गया है। फरवरी के महीने यही आंकड़ा 54.5 दर्ज हुआ था। जानकारी के अनुसार सूचकांक का 50 से ऊपर रहना गतिविधियों में तेजी और इससे कम रहना गिरावट दिखाता है।
नए ऑर्डर और उत्पादन में कही
आईएचएस मार्किट के इकोनॉमिस्ट इलियट केर ने इन आंकड़ों पर कहा कि मार्च में वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस का असर देखने को मिला है। पूरी दुनिया की इकोनॉमी में मंदी का दौर देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय इकोनॉमी में इस मंदी का उतना शिकार नहीं हुई है जितना बाकी दुनिया हो रही है। वैसे उन्होंने कुछ जगहों पर कोरोना का असर होने की बात कही। उन्होंने कि कंपनियो को नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। जिसकी वजह से उत्पादन में तेजी देखने को नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा है कि कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर एक्सपोर्ट ऑर्डर और भविष्य की गतिविधियों के सूचकांक में परिलक्षित हुआ। यह धराशाई होते वैश्विक मांग और कमजोर घरेलू विश्वास को दर्शाते हैं।
नए रोजगार के आंकड़ों में कमी
रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस की वजह से मार्च में कोरोबारी परिदृश्य को लेकर कंपनियों का विश्वास रिकॉर्ड निचले स्तर पर देखने को मिला। ग्लोबल सेल में सितंबर 2013 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली हैै। जिसकी वजह से घरेलू ऑर्डरों की वृद्धि दर भी सुस्त देखने को मिली। कंपनियों ने मार्च में नए रोजगार दिए हालांकि इसकी रफ्तार कम रही। सप्लाई चेन बाधित होने से घरेलू विनिर्माण क्षेत्र भी प्रभावित हुआ। मार्च के महीने में कंपनियों की लागत बढ़ी है, हालांकि यह पिछले पांच महीने के निचले स्तर पर रहा। कंपनियों ने बदले में अपने उत्पादों के दाम भी बढ़ाए।
Updated on:
03 Apr 2020 08:58 am
Published on:
02 Apr 2020 02:08 pm
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