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फोर्टिस ब्रदर्स के लिए सेबी ने खड़ी की मुश्किलें, कहा – ब्याज समेत चुकाएं 403 करोड़ रुपए का लोन

बाजार नियामक यानी भारतीय प्रतिभूति अैार विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मलविंदर सिंह, शिविंदर सिंह व आठ अन्य इकाइयों को फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड से डाइवर्ट किए हुए 403 करोड़ रुपए की कर्ज को ब्याज के साथ चुकाने का आदेश दिया है।

नई दिल्लीOct 18, 2018 / 12:27 pm

Ashutosh Verma

Fortis Brothers

फोर्टिस ब्रदर्स के लिए सेबी ने खड़ी की मुश्किलें, कहा – ब्याज दर समेत चुकाए 403 करोड़ रुपए का लोन

नर्इ दिल्ली। बाजार नियामक यानी भारतीय प्रतिभूति अैार विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मलविंदर सिंह, शिविंदर सिंह व आठ अन्य इकाइयों को फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड से डाइवर्ट किए हुए 403 करोड़ रुपए की कर्ज को ब्याज के साथ चुकाने का आदेश दिया है। सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड आदेश के मुताबिक, सिंह ब्रदर्स ने फ्राॅड करके फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड से 403 करोड़ रुपए डाइवर्ट किया है। इस फ्राॅड में फोर्टिस हाॅस्पिटल्स लिमिटेड, आरएचसी होल्डिंग्स लिमिटेड, रेलीगेयर फिनवेस्ट, शिवी होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड, मलव होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड, बेस्ट हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड, फर्न हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटे आैर माॅडलैन्ड वियर्स प्राइवेट लिमिटेड का नाम शामिल हैं।


दोनों भाइयों पर कंपनी के फंड में हेरफेर का अारोप

एक अंतरिम आदेश में नियामक ने इन सभी इकाइयों को किसी भी प्रकार की संपत्ति को डिस्पोज नहीं करने का भी आदेश दिया है। सिंह ब्रदर्स को कंपनी में किसी प्रकार की सहभागी बनने से भी मना किया गया है। हाल ही में सिंह ब्रदर्स को फोर्टिस हेल्थेकयर आैर रेलीगेयर एंटरप्राइज लिमिटेड से हाथ धोना पड़ा था। दोनों भाइयों पर इन कंपनियों की फंंड में हेरफेर का आरोप लगा है। इस मामले में सेबी ने पाया कि पहली बार यह नुकसान प्रमोटरों और प्रमोटर से संबंधित संस्थाओं को धन की मोड़ के कारण था।


फोर्टिस हेल्थकेयर, अपनी सहायक कंपनी के माध्यम से, उन तीन कंपनियों को अंतर-कॉर्पोरेट जमा दे रहा था जिनमें एक ही निदेशक थे। हालांकि सेबी ने कहा कि यह लेनदेन संबंधित पार्टी के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है। यह कर्ज हर तिमाही की शुरुआत में दिए गए थे आैर तिमाही के अंत में इन्हीं तीन इकाइयों द्वारा लौटाए भी गए। हमने बैलेंसशीट में इसे रिपोर्ट नहीं किया क्योंकि अवधि खत्म होने पर ये नील अमाउंट था। लेकिन सितंबर 2017 में समाप्त तिमाही में इन रकम को लौटाया नहीं किया गया क्योंकि उनके पास पर्याप्त कैशफ्लो नहीं उपलब्ध था।

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