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इटारसी

तवा बांध से सिंचाई के लिए सुबह 11 बजे खोली नहर, दिया जा रहा 2034 क्यूसेक पानी

तवा बांध में मौजूद है 900 एमसीएम पानी, दो महीने तक मिलेगा सिंचाई के लिए पानी
 

इटारसीMar 26, 2024 / 09:52 pm

Manoj Kundoo

Canal opened at 11 am for irrigation from Tawa Dam, 2034 cusecs of water is being given.

Canal opened at 11 am for irrigation from Tawa Dam, 2034 cusecs of water is being given.

इटारसी. तवा बांध से सिंचाई के लिए मंगलवार सुबह 11 बजे नहर खोल दी गई है। तवानगर से पथरौटा होते हुए नहर का पानी हरदा जिले में जाएगा। जिससे किसान ग्रीष्मकालीन मूंग की सिंचाई कर सकेंगे। तवा बांध से सुबह 11 बजे नहर खोलकर 1 हजार क्यूसेक पानी दिया जा रहा था। जिसे शाम 6 बजे दोगुना कर दिया गया है। जिससे सिंचाई के लिए पानी तेजी से अंतिम छोर तक पहुंच सके।तवा बांध के एसडीओ एनके सूर्यवंशी ने बताया कि तवा बांध की कुल जलग्रहण क्षमता 1900 एमसीएम के लगभग है। बांध में फिलहाल 900 एमसीएम पानी बचा हुआ है। जिसे ग्रीष्मकालीन मंूग की सिंचाई के लिए दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि फसल की सिंचाई के लिए दो महीने तक नहरें खुली रहेंगी।
बिना मरम्मत तवा की टूटी नहरों से छोड़ा पानी-

तवा बांध से किसानों को मूंग फसल की सिंचाई के लिए पानी दिया जा रहा है। नहरों की हालत जर्जर है। तवा बांध के बांई मुख्य नहर पर पथरौंटा से तरौंदा के बीच बड़े -बड़े सीमेंट के हिस्से बह गए हैं। यहां मिट्टी कटाव होने से मुख्य नहर क्षतिग्रस्त होने का खतरा बना हुआ है। ऐसी हालत में इन नहरों की मरम्मत कराए बिना बेशकीमती पानी छोड़ दिया गया है। नहर के आसपास जिन किसानों के खेत हैं, वह इस बात से चिंतित हैं कि यदि नहर फूट गई तो उनकी फसल बर्बाद हो जाएगी।
भारी बारिश से खराब हुई नहरें-उल्लेखनीय है कि कुछ साल पहले ही नहरों की सीमेंटीकरण का काम करोड़ों रुपए से कराया गया था। मामले में तवा परियोजना के कार्यपालन यंत्री वीके जैन बताते हैं कि वर्ष 2019-20 में हुई भारी बारिश की वजह से नहरों की हालत खराब हुई है। इसके बाद कोरोना और सिंचाई के लिए नहरों से पानी छोडऩे के कारण मरम्मत कराने का समय नहीं मिल पाया। हालांकि पानी छोडऩे से पहले नहरों की मिट्टी डालकर मरम्मत करवाई गई।
मिट्टी कटाव से सिंचाई में परेशानी-

तवा बांध से हरदा तक मुख्य नहर 131 किमी और उसकी सहायक नहरें 1688 किमी का सर्वे करने के बाद नहरों का निर्माण कराया था। नहरों से दोनों जिले के तकरीबन तीन लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई होती है। बांध निर्माण के दौरान परियोजना से पहली बार सिंचाई के लिए पानी वर्ष 1974 में दिया गया था। नहरों का स्वरूप साल दर साल बदलता जा रहा है। मिट्टी और नहरों के कटाव की वजह से अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंच पाता।

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