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कोरोना को हराने के देसी तरीके: शहर में बढ़ी इन इम्यून बूस्टर की मांग, दस गुना बढ़ा कारोबार

कोरोना को हराने के देसी तरीके: शहर में बढ़ी इन इम्यून बूस्टर की मांग, दस गुना बढ़ा कारोबार
 

जबलपुरMay 26, 2020 / 12:33 pm

Lalit kostha

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कोरोना को हराने के देसी तरीके

दीपंकर रॉय@जबलपुर। कोरोना से युद्ध में लोग एंटीबायोटिक दवाइयों की जगह च्यवनप्राश, अश्वगंधा, गिलोय और हर्बल टी (काढ़ा) मांग रहे हैं। पीएम मोदी की सलाह के बाद देसी इम्यून बूस्टर की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है। शहर में आयुर्वेद संबंधी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली औषधियों का कारोबार करीब दस गुना बढ़ गया है। च् आयुष मंत्रालय की काढ़ा बांटने की मुहिम के बाद आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन को लेकर लोगों के नजरिए में बदलाव आया है।

च्यवनप्राश, अश्वगंधा, गिलोय और कई तरह के काढ़े का लोग कर रहे उपयोग

 

 

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पुरानी पैथी की ओर लौट रहे लोग

आयुष एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडे के अनुसार कोरोना संक्रमण से पहले एंटीबायोटिक दवाएं भारी मात्रा में उपयोग की जा रही थी। लॉकडाउन के दौरान क्लीनिक्स बंद होने और प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की संख्या में कमी के साथ ही एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री आधी रह गई है। लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेद दवाओं का सेवन कर रहे हैं। आधुनिक चिकित्सा पैथी में कोरोना की किसी प्रकार की वैक्सीन तैयार नहीं हो पायी है। आयुर्वेद रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में ज्यादा सक्षम है। इसलिए लोग आयुर्वेद की तरफ लौटे हैं। अन्य रोग में भी आयुर्वेद औषधी चलन में आयीं है। विशेषज्ञों के अनुसार शहर में डायबिटीज, ब्लडप्रेशर और गायनिक संबंधी आयुर्वेद दवा की बिक्री भी करीब बीस फीसदी तक बढ़ी है। कुछ जगहों पर एक साथ ज्यादा मात्रा में रोगप्रतिरोधक औषधियों की खरीदी से इनकी कमी भी बन गई है।

 

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चार कदम… जिससे बढ़ा विश्वास

कोरोना संक्रमण काल में प्रधानमंत्री ने आयुर्वेदिक तरीके से इम्युनिटी बढ़ाने का सुझाव दिया है। प्रतिदिन एक चम्मच च्यवनप्राश के साथ सुबह की शुरुआत करने और हर्बन टी या काढ़ा पीने के लिए कहा है। जिन्हें डायबिटीज वे शुगर फ्री च्यवनप्राश खा सकते हैं।

आयुष मंत्रालय ने काढ़ा बनाने की विधि बताई। तुलसी, दालचानी, कालीमिर्च, अदरक और मुनक्का को एक निर्धारित मात्रा में पानी में उबाले के बाद उसे छानकर इस पानी का सेवन करें। दिन में 1 से 2 बार कर सकते है। काढ़े में टेस्ट के लिए नींबू का रस मिला सकते हैं।

 

बदलती स्थिति
30 के करीब आयुर्वेद प्रतिष्ठान शहर में संचालित
04 सौ डिब्बी गिलोय की पहले प्रतिमाह बिक्री थी
04 हजार डिब्बी गिलोय का अब हर माह विक्रय
01 सौ 2 सौ डिब्बा च्यवनप्राश गर्मी में बिकता था
15 सौ से ज्यादा डिब्बा च्यवनप्राश अभी बिक रहा
03 सौ डिब्बी संशमनी वटी की प्रतिमाह बिक्री थी
01 हजार से ज्यादा डिब्बी अभी प्रतिमाह विक्रय है
24 लाख रुपए की एंटीबायोटिक की पहले प्रतिदिन बिक्री थी
03 लाख की एंटीबायोटिक अभी हर दिन बिक रही है
(जैसा कि औषधिय कारोबोरियों की ओर से अनुमान के अनुसार बताया गया )

शहर में कोरोना संक्रमण काल में आयुर्वेद कॉलेज की ओर से त्रिकटू चूर्ण- काढ़ा और संशमनी वटी बांटी गई। करीब साढ़े पांच लोगों को काढ़ा के पैकेट दिए गए। पीने के बाद खराश व अन्य पीड़ा से आराम मिला। लोगों को फायदा मिलने पर और चूर्ण मंगाया जा रहा है।

सुखसागर कोविड केयर में संक्रमितों और संदिग्धों की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़ा दिया जा रहा है। इसे 7-8 प्रकार की औषधियों से तैयार किया गया है। अभी शुरू हुए इस शोध में संक्रमितों के स्वस्थ्य स्तर में सुधार को जांचा जा रहा है।

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