उन्होंने कहा कि राजा शंकर शाह जी और रघुनाथ शाह जी को डेढ़ सौ साल बाद भी स्मरण किया जाता है कि क्योंकि उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के सामने घुटने टेकना पसंद नहीं किया। बल्कि अपने प्राण न्योछावर कर दिए। बोले कि अंग्रेजों ने उनसे कहा था कि आप माफी मांग लीजिए हम माफ कर देंगे, लेकिन उन्होंने माफी नहीं मांगी।’
दिग्विजय सिंह ने इस मौके पर वीर सावरकर को भी निशाने पर लिया और कहा कि ‘आज हमें दुख है कि ऐसे-ऐसे नेता जो अंग्रेजों से माफी मांगकर जेल से बाहर आ गए संसद भवन में उनकी तस्वीर लगी हुई है। लेकिन शंकर शाह जी और रघुनाथ शाह जी को याद नहीं रखा जाता है। मैं पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और लोकसभा एवं राज्यसभा के स्पीकर से मांग करता हूं कि संसद के प्रांगण में दोनों आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्ति लगाई जाए।
इस बलिदान दिवस पर पूर्व सीएम सिंह के साथ पन्ना से कुछ आदिवासी महिलाएं व पुरुष भी जबलपुर पहुंचे थे, जो केंद्रीय गृहमंत्री से मिल कर अपनी पीड़ा जताना चाहते थे लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया। इस पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के करीबी और पन्ना बीजेपी उपाध्यक्ष अंकुर त्रिवेदी ने इन आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर लिया है। इसका विरोध करने पर भाजपा नेता आदिवासी महिलाओं संग मारपीट भी करता है। कांग्रेस नेता ने इस बताया कि उन्होंने इस संबंध में पत्र लिखकर गृहमंत्री अमित शाह से मिलने का समय मांगा था। लेकिन गृहमंत्री नहीं मिले। यहां की आदिवासी जनता के दर्द बांटने की बजाय वो सरकारी कार्यक्रमों में फूल-माला चढ़ाकर और फीता काटकर चले गए।
गृहमंत्री से पन्ना के आदिवासी समुदाय को न मिलने देने पर दिग्विजय सिंह ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को भी निशाने पर लिया। कहा कि वो अपने आप को आदिवासियों का संरक्षक कहते हैं लेकिन इनका उपाध्यक्ष महिलाओं को पीटता है। उन्होंने वीडी शर्मा और उनके समर्थकों को चेताया कि आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनके हक में अंतिम दम तक संघर्ष होगा। कांग्रेस उन आदिवासियों के साथ है।
पूर्व सीएम ने ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत उनके संग बीजेपी ज्वाइन करने वाले कांग्रेसियों को भी निशाने पर लिया। कहा कि, ‘हमें गर्व है आदिवासी समाज पर, हमने देखा कि बड़े-बड़े लोग बिक गए, राजा महाराजा बिक गए, लेकिन तमाम आदिवासी विधायकों ने करोडों रुपए का ऑफर ठुकराकर कर अपने ईमान को बचाए रखा और बोला कि हम जिनके साथ होते हैं उन्हें धोखा नहीं देते।’ सिंह ने आगे कहा कि, ‘बीजेपी इन्हें वनवासी कहती है जबकि ये आदिवासी ही भारत के मूल निवासी हैं। भाजपा उनका क्या सम्मान करेगी, जिन्हें वो हक देने और सुनने के लिए भी तैयार नहीं है और उनके नेता आदिवासी समुदाय के लोगों का अलग अलग मौकों पर उत्पीड़न कर रहे हैं।
ये भी पढें- MP के वनमंत्री को आदिवासी राजा शहीद शंकर शाह- रघुनाथ शाह बलिदान दिवस समारोह से लौटाने पर सियासत तेज उन्होंने एनसीआरबी डेटा का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे यह साबित हुआ कि मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हैं, जबकि पूरे देश में सबसे ज्यादा लगभग 22 फीसदी आदिवासी जनसंख्या मध्य प्रदेश में ही है। यहां की 47 आदिवासी सीटों पर तो बीजेपी की नजर है लेकिन समुदाय के अधिकांश जनहित से जुड़े मुद्दे उनकी संवेदना सूची से गायब हैं। सिर्फ अस्मिता की लड़ाई बनाकर बीजेपी आदिवासी समुदाय का वोट पाने का प्रयास कर रही है।