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जबलपुर

स्कूलों की दोबारा जांच: बताओ एनसीईआरटी की किताबें क्यों हैं खराब

स्कूलों से लिखकर लेगी जांच टीम, जांच से नाखुश जेडी, नए सिरे से स्कूलों की जांच करने बनाई टीम, दिए कड़े निर्देश, किताबों के दाम भी लिखवाए जाएंगे

जबलपुरApr 07, 2019 / 09:54 pm

Mayank Kumar Sahu

Double check the schools tell NCERT why bad books

Double check the schools tell NCERT why bad books

जबलपुर।

निजी स्कूलों द्वारा कापी किताब, यूनिफार्म आदि के नाम पर की जा रही कमीशनखोरी और लूट खसोट को लेकर हाल ही में प्राचार्यों द्वारा की गई जांच से विभाग खुश नहीं है। संभागीय संयुक्त संचालक लोकशिक्षण शिक्षा ने इस जांच को सिरे से नकार दिया है। बड़ा फैसला लेते हुए निजी स्कूलों की दोबारा जांच करने का फरमान दिया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि जांच के नाम पर की गई खानापूर्ति को जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग ने बड़ी गंभीरता से लिया है। जांच का मुख्य बिंदु होगा कि निजी स्कूलों द्वारा एनसीइआरटी की किताबों को क्यों खराब बताया है। क्या वजह है कि उन्होंने कक्षाओं में एनसीईआरटी की किताबों को लगाया नहीं है। इस बात का लिखित में प्रमाण प्रत्येक स्कूल से लिया जाएगा। जेडी एजुकेशन राजेश तिवारी ने साफ कहा है कि वे अभी तक की गई जांच से नाखुश हैं। प्राचार्यो की टीम गठित कर दोबारा सिलसिलेवार जांच करनी होगी। विभाग के पास इस बात की भी जानकारी पहुंची कि कुछ स्कूलों द्वारा जांच को प्रभावित करने के लिए निरीक्षणकर्ताओं को प्रलोभन भी दिया गया।

स्कूलों से लिखवाई जाएगी किताबों की कीमत

नए सिरे से होने वाली जांच में स्कूल संचालकों से किताबों की कीमत का भी ब्यौरा लिया जाएगा। कौन-कौन सी किताब किस कक्षा में कितने कीमत की किस प्रकाशक की लगाई है। क्योंकि निजी स्कूलों द्वारा विभाग को जो सूची सौंपी गई थी उसमें प्रकाशकों के पूरे नाम नहीं थे तो वहीं किताबों की कीमत छिपा दी गई थी। प्रदेश में न तो फीस नियामक कमेटी है और न ही एकेडमिक कमेटी, जबकि दिल्ली सहित देश के 12 राज्यों में फीस पर नियंत्रण के लिए फीस नियामक कमेटी है।

विशेषज्ञों की टीम को अयोग्य साबित कर रहे स्कूल

सीबीएसई स्कूलों में नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग नई दिल्ली द्वारा एनसीईआरटी की किताबों को सिलेबस के अनुसार तैयार किया जाता है। इन किताबों को लागू करने के निर्देश स्कूलों को दिए हैं। इनका निर्माण शिक्षाविदों की ज्यूरी द्वारा तैयार कर निर्माण करती है जो कि रीडिंग मटेरियल के रूप में निजी प्रकाशकों से कई गुना बेहतर होती है। लेकिन प्राइवेट स्कूल वाले एनसीआरईटी की पुस्तकों को बेकार बताकर टीम की योग्यता पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

ये होंगे पूछताछ के सवाल

-किस आधार पर निजी प्रकाशकों की किताबें लगाई।

-एनसीईआरटी कि किताबों को बेकार बताने का कारण क्या है।

-दिल्ली स्तर पर शिक्षा विशेषज्ञों की टीम को अयोग्य ठहराया।

-कितने सालों से किताबें लगा रहेे हैं।

-निजी प्रकाशकों की किताबें लगाने से पहले प्रशासन, बोर्ड, विभाग से अनुमति ली।

-जमा की गई सूची में किताबों के दाम क्यों नहीं लिखे गए।

-किताब, यूनिफार्म सभी दुकानों में क्यों नहीं होती उपलब्ध ।

इन निर्देशों का पालन नही

– नोटिस बोर्ड एडमिशन, फीस की जानकारी चस्पा नहीं

-फीस बढ़ाकर शिक्षकों को छठवें- सातवें वेतनमान का लाभ देने का दावा।

-सभी स्कूलों में फीस का अलग अलग निर्धारण ।

-फीस बढाने पर अभिभावकों की सहमति नहीं ली जाती।

-कक्षावार फीस स्ट्रक्चर नहीं किया जाता ऑनलाइन।

-किताब, यूनिफार्म सभी दुकानों में नहीं उपलब्ध ।

…..

निजी स्कूलों की जांच दोबारा से कराने के निर्देश दिए हैं। स्कूलों ने एनसीईआरटी की किताबें क्यों नहीं लगाई। इसकी क्या वजह है। यह उनसे लिखकर लिया जाएगा। लगाई गई किताबों के दामों की जानकारी भी लिखित में ली जाएगी। निरीक्षणकर्ताओं को सख्ती से जांच करने और किसी भी तरह का दबाव न सहन करने के निर्देश दिए हैं।

-राजेश तिवारी, संभागीय संयुक्त संचालक स्कूल शिक्षा

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